Muzaffarnagar: कांवड़ मार्ग की दुकानों पर नाम लिखने के मामले में SSP के फरमान पर सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। सांसद ने कहा कि संविधान से हटकर कोई बात नहीं करनी चाहिए और हमें आपस में जाति और धर्म के आधार पर नहीं बंटना चाहिए। हरेंद्र मलिक ने जोर दिया कि इस तरह की बातों से ध्यान हटना चाहिए और इससे विभेद और बढ़ेगा।
सांसद हरेंद्र मलिक का बयान
सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने कहा, “संविधान से हटकर कोई बात नहीं करनी चाहिए। हम आपस में जाति और धर्म में नहीं बंट सकते। इस तरह की बातों से ध्यान हटना चाहिए। इससे विभेद और बढ़ेगा। किसे पता फल हिन्दू के बाग का है या मुसलमान के? फल को बाग में किसने तोड़ा किसे पता है। फल खाएंगे तो हिन्दू और मुसलमान दोनों ही।”
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विवाद का विवरण
मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग की दुकानों पर नाम लिखने के आदेश पर विवाद खड़ा हो गया है। SSP के इस फरमान को लेकर कई लोगों ने विरोध जताया है और इसे संविधान के खिलाफ बताया है। हरेंद्र मलिक ने भी इस आदेश की आलोचना की और कहा कि इस प्रकार के आदेश से समाज में विभाजन और असंतोष बढ़ेगा।
Muzaffarnagar: संवैधानिक दृष्टिकोण
सांसद हरेंद्र मलिक ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि हमें संविधान के मूल्यों का पालन करना चाहिए और समाज में एकता और समरसता बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा, “संविधान से हटकर कोई भी निर्णय या फरमान नहीं होना चाहिए। हमें सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचना चाहिए।”
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सामाजिक प्रतिक्रिया
इस मामले पर सामाजिक प्रतिक्रियाएं भी मिली-जुली हैं। कुछ लोगों ने SSP के आदेश को सही ठहराया है, जबकि अन्य ने इसे अनुचित और विभाजनकारी बताया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “इस प्रकार के आदेश से समाज में तनाव बढ़ेगा और हमें ऐसे किसी भी निर्णय से बचना चाहिए जो समाज को विभाजित करता हो।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया
हरेंद्र मलिक के बयान के बाद राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। कई राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है और सामाजिक समरसता बनाए रखने की अपील की है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, “हमें सभी धर्मों और जातियों को एकसमान देखना चाहिए और समाज में एकता बनाए रखनी चाहिए।”
Muzaffarnagar निष्कर्ष
Muzaffarnagarमें कांवड़ मार्ग की दुकानों पर नाम लिखने के आदेश पर सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और संविधान का हवाला देते हुए इस आदेश की आलोचना की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें समाज में विभाजन नहीं बढ़ाना चाहिए और सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करना चाहिए। इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं भी मिलीजुली रही हैं, लेकिन सभी ने एकता और समरसता बनाए रखने की अपील की है।
यह स्पष्ट है कि संविधान के मूल्यों का पालन करना और समाज में एकता बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें ऐसे किसी भी निर्णय से बचना चाहिए जो समाज को विभाजित करता हो और सभी धर्मों और जातियों के प्रति समान सम्मान रखना चाहिए।
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