New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक वकील से पूछा कि कैसे एक प्रैक्टिसिंग एडवोकेट बार काउंसिल के नियमों के खिलाफ पत्रकार के रूप में काम कर सकता है [मोहम्मद कमरान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य]।
वकील और पत्रकार की दोहरी भूमिका पर सवाल
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई कर रही थी, जिसने पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर नोटिस जारी करने पर सहमति जताई, लेकिन साथ ही यह भी सवाल उठाया कि अपीलकर्ता कैसे एक प्रैक्टिसिंग वकील और पत्रकार दोनों के रूप में काम कर रहा है।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा, “मुझे आपका पेशेवर दुराचार समझ में नहीं आता। आप कहते हैं कि आप वकील और पत्रकार दोनों हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों को देखें। इसमें पूरी तरह से रोक है। मुझे यकीन नहीं है, जब आप कहते हैं कि आप एक पत्रकार भी हैं।”
गौरतलब है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम प्रैक्टिसिंग एडवोकेट्स को अन्य रोजगार में शामिल होने से मना करते हैं।
हालांकि, वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह फ्रीलांस पत्रकार के रूप में काम करता है, लेकिन पीठ ने इस पर संदेह व्यक्त किया कि क्या यह अनुमति है।
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यूपी बार काउंसिल और बीसीआई से जवाब तलब
पीठ ने इस मामले में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से अपीलकर्ता मोहम्मद कमरान के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति ओका ने कहा, “अपीलों में नोटिस के अलावा, हम यूपी बार काउंसिल और बीसीआई से भी जवाब तलब करेंगे और उन्हें आपके खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के बारे में बताना चाहिए। रजिस्ट्री इस आदेश की एक प्रति प्रदान करेगी। कृपया ऐसे साहसिक कदम न उठाएं। कहें कि आप या तो वकील हैं या पत्रकार।”
कोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 मार्च के फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई कर रही थी, जिसने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व प्रमुख और पूर्व लोकसभा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मानहानि मामले की कार्यवाही को रद्द कर दिया था।
मानहानि मामले का विवरण
यह मानहानि मामला सितंबर 2022 में सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को लिखे गए दो पत्रों से संबंधित था, जिसमें कहा गया था कि शिकायतकर्ता (मोहम्मद कमरान) के खिलाफ विभिन्न आपराधिक मामले लंबित हैं।
शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि सिंह ने उन्हें साजिशकर्ता और चोर के रूप में संबोधित किया और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और अखबारों में पत्रों को प्रसारित कर उनकी छवि और प्रतिष्ठा को खराब करने का प्रयास किया।
गौरतलब है कि सिंह वर्तमान में छह भारतीय पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों का भी सामना कर रहे हैं।
15 जून, 2023 को पुलिस ने सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (मर्यादा का उल्लंघन), 354A (यौन रंगीन टिप्पणी), 354D (पीछा करना) और 506(1) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था।
शिकायतकर्ताओं ने पहले सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली पुलिस ने सूचित किया कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और जांच चल रही है।
सिंह ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष खुद को निर्दोष बताया है।
एक नाबालिग पहलवान ने भी सिंह के खिलाफ इसी तरह के आरोप लगाए थे। हालांकि, बाद में उसने अपनी शिकायत वापस ले ली और दिल्ली पुलिस ने उस मामले में बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) के तहत एक रद्दीकरण रिपोर्ट दाखिल की।