Kanwar Yatra के दौरान पवित्र कांवड़ का खंडित होना कांवड़ियों के गुस्से का मुख्य कारण है। इस यात्रा में, कांवड़िए गंगा नदी के तटों से कांवड़ में जल भरकर अपने गांव या मंदिर तक पैदल चलते हैं। इस कांवड़ और गंगा जल को इतना पवित्र माना जाता है कि इसे पूरी यात्रा के दौरान भूमि पर रखना वर्जित होता है।
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यात्रा के दौरान, यदि किसी वाहन से टक्कर लगने के कारण कांवड़ खंडित हो जाता है, तो कांवड़ियों का क्रोध बढ़ जाता है। यह क्रोध स्वाभाविक है क्योंकि यह यात्रा ही कांवड़ और गंगा जल के लिए होती है। कांवड़ का खंडित होना उनके लिए अपवित्रता और उनके धार्मिक आस्था का अपमान है।
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कई बार ऐसा होता है कि यात्रा के दौरान किसी बाइक या अन्य वाहन से टक्कर हो जाती है, जिससे कांवड़ खंडित हो जाता है। इस स्थिति में कांवड़ियों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। उन्हें लगता है कि उनकी मेहनत और श्रद्धा का अपमान हुआ है।
कांवड़ यात्रा के इस महत्वपूर्ण तत्व को समझने के बाद, यह साफ हो जाता है कि कांवड़ियों का गुस्सा क्यों आता है और यह क्यों स्वाभाविक है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम सभी इस धार्मिक यात्रा के प्रति सम्मान और समझदारी का व्यवहार करें, ताकि ऐसी अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके।
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