चंद्र शेखर घोष की कहानी संघर्ष और सफलता की मिसाल है। उनका सफर एक साधारण मिठाई की दुकान से लेकर 29787 करोड़ रुपये की कंपनी के सीईओ बनने तक का है। चंद्र शेखर घोष ने घोषणा की है कि वह जुलाई 2024 में अपने पद से इस्तीफा देंगे और बंधन समूह के रणनीतिक मामलों में योगदान देंगे।
त्रिपुरा से लेकर ढाका विश्वविद्यालय तक
चंद्र शेखर घोष का जन्म 1960 में त्रिपुरा के अगरतला में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके परिवार की आमदनी एक छोटी सी मिठाई की दुकान से होती थी। इसके बावजूद, घोष ने अपनी शिक्षा पूरी करने की ठान ली। उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय से 1978 में सांख्यिकी में डिग्री प्राप्त की। घोष अपने जीवन यापन के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते थे और एक आश्रम में रहते थे।
BRAC में नौकरी और बदलाव का सफर
1985 में घोष का जीवन बदल गया जब उन्हें बांग्लादेश के एक अंतर्राष्ट्रीय विकास गैर-लाभकारी संगठन (BRAC) में नौकरी मिली। यहाँ उन्होंने देखा कि कैसे छोटे-छोटे वित्तीय सहयोग से ग्रामीण महिलाओं की जिंदगियों में बड़ा बदलाव आ सकता है। यह देखकर घोष ने भारत में इस मॉडल को अपनाने का निर्णय लिया।
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बंधन की स्थापना
1997 में कोलकाता लौटकर घोष ने वेलफेयर सोसाइटी के लिए काम किया और फिर अपनी कंपनी शुरू की। उन्होंने 2001 में बंधन नामक माइक्रोफाइनेंस संस्था की स्थापना की, जिसका उद्देश्य महिलाओं को कर्ज देना था। घोष ने शुरू में अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से 2 लाख रुपये उधार लेकर इस संस्था की शुरुआत की।
शुरुआती चुनौतियाँ और प्रगति
हालांकि शुरुआती चुनौतियाँ थीं, लेकिन बंधन ने तेजी से प्रगति की। 2002 तक, संस्था ने लगभग 1,100 महिलाओं को 15 लाख रुपये के कर्ज प्रदान किए थे। 2009 में, बंधन को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के रूप में पंजीकृत किया गया। घोष के दूरदर्शिता और मेहनत से लगभग 80 लाख महिलाओं की जिंदगी में सुधार आया।
बंधन बैंक का उदय
2013 में, जब भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों की स्थापना के लिए आवेदन मांगे, तो घोष ने बंधन बैंक के लिए आवेदन किया और 2015 में बैंक का उद्घाटन हुआ। आज, बंधन बैंक 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 6,262 शाखाओं के माध्यम से 3.26 करोड़ ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करता है और इसका बाजार मूल्य 28,997 करोड़ रुपये है।
प्रेरणादायक यात्रा
चंद्र शेखर घोष की कहानी हमें यह सिखाती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है और सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी यह यात्रा लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।