Goalkeeper: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम ने स्पेन को 2-1 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीतकर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इस महत्वपूर्ण मुकाबले के बाद, भारतीय हॉकी टीम के वेटरन गोलकीपर PR Sreejesh ने हॉकी को अलविदा कह दिया। 36 वर्षीय श्रीजेश ने अपने करियर का आखिरी मैच खेलते हुए अद्वितीय प्रदर्शन किया और भारतीय टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्रीजेश का अंतिम मैच
श्रीजेश ने अपने आखिरी मैच में स्पेनिश कप्तान मार्क मिराल्स के कई पेनल्टी कॉर्नर्स को शानदार तरीके से रोका। मैच के फुल-टाइम व्हिसल के बाद, भारतीय खिलाड़ियों ने श्रीजेश को घेर लिया और उनके अद्वितीय करियर का जश्न मनाया। Paris Olympics 2024 में इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय हॉकी को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया। Bronze Medal जीतकर श्रीजेश ने अपने करियर को एक यादगार अंत दिया।
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श्रीजेश की विदाई
श्रीजेश ने कहा, “यह एक लंबा सफर रहा है और मैं गर्व महसूस करता हूं कि मैंने अपने देश के लिए खेला। यह मेडल मेरी मेहनत और टीम की प्रतिबद्धता का परिणाम है। अब समय आ गया है कि मैं अपने परिवार के साथ समय बिताऊं और नए खिलाड़ियों को मौका दूं।” Retirement की घोषणा करते हुए श्रीजेश ने अपने प्रशंसकों और टीम के सदस्यों को धन्यवाद दिया।
कप्तान और कोच की प्रतिक्रिया
Goalkeeper: भारत के हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा, श्रीजेश हमारे लिए एक प्रेरणा स्रोत रहे हैं। उनकी गोलकीपिंग ने हमें कई मैच जीताए हैं। हम उन्हें बहुत मिस करेंगे और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।” भारतीय हॉकी टीम के कोच ग्राहम रीड ने भी श्रीजेश की तारीफ की और कहा, “श्रीजेश की गोलकीपिंग अद्वितीय है। उन्होंने अपने करियर में बहुत कुछ हासिल किया है और वे हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे।” Indian Hockey Team के लिए श्रीजेश का योगदान अमूल्य रहा है।
भारत की लगातार दूसरी ब्रॉन्ज मेडल जीत
श्रीजेश की गोलकीपिंग के दम पर भारत ने लगातार दूसरी बार ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। इससे पहले, टोक्यो ओलंपिक 2020 में भी भारत ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। Paris Olympics 2024 में मिली इस जीत ने भारतीय हॉकी टीम को एक नई पहचान दी है और खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
नए खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा
श्रीजेश की विदाई ने भारतीय हॉकी में एक नई पीढ़ी के लिए रास्ता खोला है। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और समर्पण ने नए खिलाड़ियों को प्रेरित किया है। उनकी यात्रा और उपलब्धियां भारतीय हॉकी में एक प्रेरणास्त्रोत बनी रहेंगी।