नई दिल्ली, 22 अगस्त 2024: दिल्ली के टैक्सी ड्राइवरों के बीच ओला और उबर जैसी ऐप आधारित कैब सेवाओं के खिलाफ गुस्सा अब उबाल पर है। 22 और 23 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर में ऑटो और टैक्सी ड्राइवर यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया है, जिसमें उनकी मुख्य मांग ओला और उबर जैसी सेवाओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की है। सवाल उठता है कि आखिर टैक्सी ड्राइवरों की ये नाराजगी क्यों है, और वे इन सेवाओं पर बैन क्यों चाहते हैं?
ओला, उबर की मनमानी
जब ओला और उबर भारत में आए थे, तो उन्होंने विभिन्न ऑफर्स के जरिए ग्राहकों और टैक्सी ड्राइवरों दोनों को ही आकर्षित किया। शुरुआत में, इन कंपनियों ने टैक्सी किराए को काफी कम रखा और ड्राइवरों को अधिक मुनाफा दिया, जिससे वे इन सेवाओं से जुड़ने के लिए उत्साहित हुए। लेकिन जैसे ही इन कंपनियों ने बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर ली और एकाधिकार बना लिया, उन्होंने टैक्सी के किराए बढ़ा दिए और ड्राइवरों का मुनाफा घटा दिया।
पहले जहां ड्राइवरों का मार्जिन 80 प्रतिशत तक होता था, अब वह घटकर 50-60 प्रतिशत से भी कम हो गया है। इसके अलावा, ये कंपनियां ड्राइवरों पर तरह-तरह के फाइन भी लगाती हैं, जिससे उनकी आय पर और भी अधिक असर पड़ता है। ड्राइवरों का कहना है कि अब उनके लिए गुजारा करना मुश्किल हो गया है और वे इन कंपनियों की मनमानी से तंग आ चुके हैं।
रोजगार छिनने का खतरा
टैक्सी ड्राइवरों का कहना है कि ओला और उबर जैसी ऐप आधारित सेवाएं उनके पारंपरिक रोजगार को बुरी तरह से प्रभावित कर रही हैं। इन सेवाओं ने दिल्ली की सड़कों पर बड़ी संख्या में प्राइवेट कैब्स को उतार दिया है, जो सस्ती दरों पर यात्रियों को सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इस कारण टैक्सी और ऑटो ड्राइवरों की आमदनी में भारी गिरावट आई है।
अवैध गतिविधियों का आरोप
टैक्सी यूनियनों का दावा है कि ओला और उबर की टैक्सियों में अवैध गतिविधियों का संचालन हो रहा है। यूनियनों का आरोप है कि इन टैक्सियों का इस्तेमाल तस्करी, शराब और ड्रग्स के व्यापार के लिए भी किया जा रहा है। टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष किशन वर्मा ने कहा, “ये सेवाएं न केवल हमारे रोजगार को छीन रही हैं, बल्कि अवैध गतिविधियों में भी शामिल हैं। इसलिए हम इन सेवाओं पर तुरंत प्रतिबंध चाहते हैं।”
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सरकारी उपेक्षा का आरोप
टैक्सी ड्राइवर यूनियनों का कहना है कि उन्होंने कई बार सरकार और संबंधित विभागों को अपनी समस्याओं से अवगत कराया है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। वर्मा ने कहा, “हम कई वर्षों से सरकार को ओला और उबर के खिलाफ लिख रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सरकार इन कंपनियों का पक्ष लेती है, जबकि हमारा रोजगार खतरे में है।”
क्या होगा असर?
इस हड़ताल के चलते दिल्ली-एनसीआर में अगले दो दिनों तक परिवहन सेवाओं में भारी व्यवधान की आशंका है। टैक्सी ड्राइवरों का यह कदम उनके रोजगार की सुरक्षा और अवैध गतिविधियों के खिलाफ उनके गहरे असंतोष को दर्शाता है। टैक्सी ड्राइवरों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द ओला और उबर जैसी सेवाओं पर बैन लगाए, ताकि उनके रोजगार को बचाया जा सके और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।