Delhi के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली है, लेकिन उनके ऊपर कई कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। यह आदेश कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद आया है।
अरविंद केजरीवाल, जो इस मामले में छह महीने से हिरासत में थे, अब जमानत पर रिहा होने के लिए कुछ शर्तों का पालन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि केजरीवाल किसी भी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं कर सकेंगे, अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं हो सकेंगे, सार्वजनिक अभियान में भाग नहीं ले सकेंगे, और गवाहों से बातचीत नहीं कर सकेंगे। उन्हें जांच अदालत के समक्ष उपस्थित भी होना होगा, यदि आवश्यक हो।
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जमानत की शर्तें
- ₹50,000 का बॉन्ड जमा करना होगा।
- मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दे सकेंगे।
- गवाहों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी।
न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और सूर्यकांत की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। इस आदेश के बाद, केजरीवाल को जेल से रिहा किया जा सकेगा, लेकिन उन्हें उपरोक्त शर्तों का सख्ती से पालन करना होगा।
केजरीवाल को 21 मार्च को शराब नीति घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले, उन्हें 10 मई को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, लेकिन जून में उन्हें फिर से आत्मसमर्पण करना पड़ा था। यह वर्तमान जमानत सीबीआई के मामले से संबंधित है, जबकि जुलाई में उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामले में भी जमानत मिली थी।
यह आदेश दिल्ली के रोज एवेन्यू कोर्ट में भेजा जाएगा, जहां केजरीवाल को जमानत बॉन्ड जमा करना होगा। कोर्ट की प्रक्रिया के बाद रिहाई का आदेश तिहाड़ जेल प्रशासन को भेजा जाएगा, जिसके बाद उनकी रिहाई संभव होगी।