Delhi के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जमानत पर रिहा होने के बाद सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है, जिसे राजनीतिक विश्लेषकों ने मास्टरस्ट्रोक माना है। यह घोषणा हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों से पहले की गई है, जिससे बीजेपी के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा: क्या है मास्टरस्ट्रोक?
अरविंद केजरीवाल ने रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में उन्हें जमानत मिलने के दो दिन बाद की गई। उन्होंने दिल्ली में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वे दो दिनों के भीतर सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे और जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मांग करेंगे।
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चुनावी रणनीति में बदलाव
इस इस्तीफे के पीछे के मुख्य कारण चुनावी रणनीति में बदलाव हो सकते हैं। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल की यह घोषणा बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती पेश कर सकती है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि केजरीवाल ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं:
- बीजेपी के लिए राजनीतिक दबाव: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावों के बीच केजरीवाल का इस्तीफा बीजेपी के लिए राजनीतिक दबाव बढ़ा सकता है।
- गठबंधन की संभावनाएँ: हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की बातचीत जारी है, और केजरीवाल का इस्तीफे इस समीकरण को बदल सकता है।
- नैरेटिव सेट करना: केजरीवाल ने पहले भी लोकसभा चुनावों में बीजेपी पर आरोप लगाए थे और नैरेटिव सेट किया था, यह इस्तीफा भी उनके लिए एक नया मौका हो सकता है।
लोकसभा चुनाव में पहले की सफलता
पिछले लोकसभा चुनावों में केजरीवाल ने अपने विरोधाभासी नीतियों और विपक्षी दलों पर गंभीर आरोप लगाकर एक मजबूत नैरेटिव सेट किया था। हालांकि, चुनाव परिणाम उनकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे और दिल्ली में भाजपा ने सभी सात सीटों पर जीत हासिल की। इसके बावजूद, आम आदमी पार्टी पंजाब की तीन सीटों पर जीतकर एक सीट की बढ़त ले गई थी।
भ्रष्टाचार के आरोप पर प्रतिक्रिया
बीजेपी ने लगातार आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। केजरीवाल ने इस बार भी बीजेपी पर आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियों को इस्तेमाल कर उन्हें और उनकी पार्टी के नेताओं पर गलत आरोप लगा कर जेल भेजा जा रहा है। उनके इस्तीफे का ऐलान उनके इस संघर्ष को और गहरा कर सकता है।
राजनीतिक जानकारों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि केजरीवाल का इस्तीफा बीजेपी के लिए एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। इससे बीजेपी को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत हो सकती है। हरियाणा में बीजेपी की बढ़ती चुनौती के साथ-साथ, पंजाब और झारखंड में भी आम आदमी पार्टी की पकड़ मजबूत हो रही है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल का नैतिकता का दांव
मंत्रिणी और नेताओं ने कहा है कि केजरीवाल ने नैतिकता का दांव खेला है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है और वे जनता की अदालत में जाएंगे। अगर जनता उन्हें ईमानदार मानती है, तो वे फिर से सीएम बन सकते हैं। यह कदम उनके राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी की मजबूती
Punjab विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और बीजेपी पर चढ़कर अच्छी स्थिति बनाई है। बीजेपी अब पंजाब में अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर पा रही है, जबकि आम आदमी पार्टी ने पंजाब में मजबूत स्थिति हासिल की है। केजरीवाल के इस्तीफे से आम आदमी पार्टी को और मजबूती मिल सकती है।
हरियाणा में आम आदमी पार्टी का जोश
Haryana में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में नया जोश देखने को मिल रहा है। केजरीवाल के इस्तीफे के बाद से ही पार्टी के कार्यकर्ता एकजुट होकर अपनी पार्टी की ओर रुख कर रहे हैं। किसानों के साथ-साथ महिला पहलवानों के मुद्दों पर भी केजरीवाल बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की बढ़ती साख
Delhi में केजरीवाल की रिहाई और इस्तीफे के ऐलान से आम आदमी पार्टी की साख में इजाफा हुआ है। 156 दिनों की सीएम अनुपस्थिति के बाद भी पार्टी के कार्यकर्ता एकजुट नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सीटों पर आम आदमी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जिससे पार्टी की स्थिति मजबूत हो गई है।