Siyaldah Railway Station: बीजेपी नेता समिक भट्टाचार्य द्वारा सियालदह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने के सुझाव पर कड़ी आलोचना हुई है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते चंद्र कुमार बोस ने इस सुझाव को सांप्रदायिक राजनीति का उदाहरण बताते हुए आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की राजनीति पश्चिम बंगाल के समावेशी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के विपरीत है।
चंद्र कुमार बोस की कड़ी प्रतिक्रिया
बोस ने कहा कि “श्यामा प्रसाद मुखर्जी को एक शिक्षाविद के रूप में सम्मान दिया जाता है, लेकिन उन्हें बंगाल के विभाजक के रूप में भी जाना जाता है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि मुखर्जी की विचारधारा अत्यधिक सांप्रदायिक रही है और उन्हें बंगाल के विभाजन के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। इस संदर्भ में, उनका कहना था कि “सियालदह स्टेशन का नाम बदलना बंगाल की समावेशी और धर्मनिरपेक्ष संस्कृति के खिलाफ होगा।”
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तृणमूल कांग्रेस का सुझाव
तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने सुझाव दिया कि यदि सियालदह स्टेशन का नाम बदला जाना है, तो इसे स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद 1893 में शिकागो के विश्व धर्म संसद में ऐतिहासिक भाषण देने के बाद सियालदह स्टेशन पर उतरे थे, और कोलकाता के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया था।
राजनीतिक दलों के बीच बढ़ती बहस
Siyaldah Railway Station: इस प्रस्ताव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच बहस तेज हो गई है। अभी तक स्टेशन के नाम बदलने पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।