Cyber Attacks: सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) वर्तमान में चल रहे साइबर हमलों के कारण गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए, एजेंसी ने हाल ही में कई एंटीवायरस और साइबर सुरक्षा समाधानों को खरीदा, जिसमें लगभग ₹2 करोड़ की लागत वाला सुरक्षा सूचना प्रबंधन (एसआईएम) सिस्टम भी शामिल है। दुर्भाग्यवश, इनमें से कई महंगे समाधानों का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया गया है।
अप्रयुक्त सुरक्षा निवेश
आईटीडीए पिछले एक सप्ताह और आधे से साइबर हमलों से जूझ रहा है। इसके परिणामस्वरूप, इन हमलों से प्रभावित कई वेबसाइटें और मोबाइल एप्लिकेशन अभी भी सही से काम नहीं कर पा रहे हैं। स्रोतों के अनुसार, एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर और अन्य सुरक्षा समाधानों में किए गए महत्वपूर्ण निवेश के बावजूद, एजेंसी ने उन्हें लागू नहीं किया है। यह सवाल उठाता है कि यदि इन उपकरणों का समय पर उपयोग किया गया होता, तो साइबर हमले के प्रभाव को कम किया जा सकता था।
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डेटा सेंटर बैकअप की समस्याएं
आईटीडीए के डेटा सेंटर बैकअप सिस्टम पिछले पांच वर्षों से विवादों में रहा है। 2019-20 में, एजेंसी ने अपने डेटा को सुरक्षित करने के लिए एक अनुबंध सौंपा, लेकिन हायर की गई एजेंसी ने संतोषजनक परिणाम नहीं दिए। इसके परिणामस्वरूप, यह अनुबंध आईटीआई लिमिटेड को बैंगलुरु में स्थानांतरित कर दिया गया। हालांकि, आईटीआई, जिसने लगभग ₹3.5 करोड़ में परियोजना संभाली, पूर्ण आपदा वसूली और बैकअप समाधान प्रदान करने में भी संघर्ष किया। हाल के साइबर हमलों के दौरान, आईटीआई की टीम ने डेटा का बैकअप लेने के लिए जोखिम भरे रिमोट एक्सेस तरीकों का उपयोग करने का प्रयास किया, जिससे डेटा सुरक्षा और भी खतरे में पड़ गई।
आईटीडीए की स्थिति यह दिखाती है कि साइबर सुरक्षा समाधानों के उचित कार्यान्वयन और प्रबंधन की कितनी आवश्यकता है। सुरक्षा सॉफ़्टवेयर और प्रणालियों में किए गए करोड़ों के निवेश के साथ, समय पर कार्रवाई और प्रभावी उपयोग संभावित साइबर खतरों से सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। आगे बढ़ते हुए, यह एजेंसी के लिए महत्वपूर्ण है कि वह अपनी साइबर सुरक्षा रणनीतियों को मजबूत करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।