Ram Babu Tiwari: बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव अधांव में जन्मे राम बाबू तिवारी का पूरा बचपन पानी के लिए संघर्ष करते हुए बीता। एक ऐसा इलाका, जहां पानी की कमी इतनी ज्यादा थी कि एक मटकी पानी की तुलना महिलाएं अपने पति से कर बैठती थीं।
बचपन का पानी संकट
राम बाबू तिवारी को बचपन से ही पानी के महत्व का अहसास हो गया था। एक घटना में, जब उनके किसी पहचान वाले का निधन हुआ, तो मान्यता के अनुसार सभी लोगों को शमशान से लौटकर नहाना था, लेकिन पूरे गांव में पानी नहीं था। उनके परिवार को तेज धूप में तीन किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाना पड़ा, ताकि वे पानी ला सकें। यह संघर्ष उनका जीवनभर साथ रहा।
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शहर में पहली बार देखा पानी की बर्बादी
Ram Babu Tiwari: दसवीं के बाद जब राम बाबू शहर की हॉस्टल में पढ़ाई करने आए, तो उन्होंने पहली बार शॉवर में नहाया। वहां उन्होंने देखा कि शहरों में पानी की बर्बादी हो रही है, जो उन्हें बहुत खली। उन्होंने अपने दोस्तों को पानी बचाने की सलाह दी, लेकिन दोस्तों ने उन्हें गांव में जाकर पानी बचाने की बात कही।
‘पानी चौपाल’ की शुरुआत
इस प्रेरणा से राम बाबू ने छुट्टियों में गांव जाकर काम करना शुरू किया और बुंदेलखंड के कुछ दोस्तों के साथ मिलकर “पानी चौपाल” की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य था गांव-गांव जाकर लोगों को पानी के महत्व के बारे में जागरूक करना।
5000 जल मित्र और 75 तालाबों का पुनः निर्माण
राम बाबू की मेहनत रंग लाई। उन्होंने 10 साल के कठिन परिश्रम से बुंदेलखंड के 75 तालाबों का पुनः निर्माण किया, जिससे अब वहां बारिश का पानी जमा होता है और गांववाले सालभर इसका इस्तेमाल कर पाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने 5000 से अधिक “जल मित्र” तैयार किए, जो जल संरक्षण के इस मिशन में उनकी मदद कर रहे हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोड़ा लोगों को
Ram Babu Tiwari: राम बाबू ने लोगों को पानी बचाने के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूक किया। उन्होंने भंडारों का आयोजन किया और श्रमदान के जरिए लोगों को जल संरक्षण के काम में शामिल किया। नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से उन्होंने लोगों को पानी के महत्व को समझाया।
राम बाबू तिवारी: एक सच्चे जल नायक
Ram Babu Tiwari: आज, राम बाबू तिवारी के प्रयासों की वजह से बुंदेलखंड के कई गांवों में पानी की समस्या का समाधान हो गया है। उनके जैसे जल नायक की देश को बहुत जरूरत है।