Gangasagar Mela, जो हर साल पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप में मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होता है, हिंदू धर्म का दूसरा सबसे बड़ा मेला है। मान्यता है कि गंगासागर स्नान से 100 अश्वमेध यज्ञ जितना पुण्य प्राप्त होता है और पापों से मुक्ति मिलती है।
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Gangasagar मेले का इतिहास
गंगासागर मेले का इतिहास हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित है। पौराणिक कथा के अनुसार, राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया था, लेकिन उनके घोड़े को स्वर्ग के राजा इंद्र ने चुरा लिया और पाताल लोक में कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया।
राजा सगर के पुत्रों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी का आरोप लगाया, जिससे क्रोधित होकर मुनि ने उन्हें श्राप दे दिया और वे राख में बदल गए। बाद में, राजा सगर के पोते भगीरथ ने वर्षों तक तपस्या की, जिसके बाद गंगा ने स्वर्ग से पृथ्वी पर आकर उनके पूर्वजों की आत्माओं को मोक्ष प्रदान किया।
इसी पवित्र घटना की स्मृति में गंगासागर स्नान का आयोजन किया जाता है।
गंगासागर स्नान का महत्व
गंगासागर स्नान का दिन विशेष रूप से मकर संक्रांति को चिह्नित करता है, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। हिंदू परंपरा में यह शुभ समय की शुरुआत मानी जाती है, जब विवाह, सगाई, और अन्य शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। माना जाता है कि गंगासागर स्नान से मोक्ष की प्राप्ति और पापों का नाश होता है।
गंगासागर मेले में स्नान कैसे करें?
सूर्योदय से पहले उठें, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा नदी में डुबकी लगाएं। भगवान सूर्य को अर्घ्य दें, सूर्य देव की पूजा करें और अनुष्ठान शुरू करें। कपिल मुनि की पूजा करें, देसी घी का दीपक जलाकर कपिल मुनि का आशीर्वाद लें। उपवास करें, कई श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं और हवन करते हैं। देवी गंगा का आभार व्यक्त करें और अपने पापों के लिए क्षमा मांगें।
गंगासागर मेला : आयोजन स्थल और समय
यह मेला हर साल जनवरी में मकर संक्रांति के आसपास आयोजित होता है। पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप में गंगासागर मेला का आयोजन किया जाता है। यह मेला संक्रांति से कुछ दिन पहले शुरू होता है और इसके तुरंत बाद समाप्त हो जाता है।
गंगासागर मेला बनाम कुंभ मेला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गंगासागर मेले को कुंभ से भी बड़ा बताया और इसे राष्ट्रीय मेला घोषित करने की मांग की है। उनकी इस टिप्पणी के बाद गंगासागर मेले पर देशभर में चर्चा तेज हो गई।
गंगासागर मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हिंदू संस्कृति और आस्था का प्रतीक भी है। लाखों श्रद्धालु हर साल इस मेले में शामिल होते हैं और गंगा में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं।