Delhi: 50 वर्षीय विकास मंगोत्रा और उनकी 18 वर्षीय बेटी मीमांसा ने इस वर्ष NEET-UG 2024 परीक्षा (NEET-UG Exam) दी और दोनों ने सफलता प्राप्त की। पिता विकास मंगोत्रा, जो दिल्ली में एक कॉर्पोरेट कर्मचारी (Corporate Employee) हैं, ने अपनी बेटी के लिए एक बेहतर शिक्षक (Better Teacher) बनने के उद्देश्य से इस परीक्षा में भाग लिया। यह उनका दूसरा प्रयास था, जबकि उनकी बेटी का पहला प्रयास (First Attempt) था।
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पिता-बेटी की सफलता की कहानी
इंडियन एक्सप्रेस (Indian Express) की रिपोर्ट के अनुसार, विकास मंगोत्रा ने ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) के एक सेंटर पर परीक्षा दी, जबकि उनकी बेटी ने नोएडा (Noida) में परीक्षा दी। मूल रूप से जम्मू (Jammu) के रहने वाले विकास ने बताया कि उन्होंने 2022 में भी NEET-UG 2024 के लिए क्वालिफाई (Qualify) किया था। 90 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने स्टेट पीएमटी (State PMT) के लिए फॉर्म भरा था क्योंकि वह डॉक्टर (Doctor) बनना चाहते थे और उनके पास मेडिकल कॉलेज (Medical College) में प्रवेश के लिए पर्याप्त अंक थे। हालाँकि, व्यक्तिगत कारणों (Personal Reasons) से उन्हें इंजीनियरिंग (Engineering) की पढ़ाई करनी पड़ी।
NEET-UG 2024 प्रतियोगी परीक्षाओं का अनुभव
विकास मंगोत्रा ने NEET के अलावा, लगभग दो दशक पहले GATE, JKCET और UPSC CSE जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं (Competitive Exams) भी दी थीं। उनका कहना है कि इस बार उन्होंने NEET-UG 2024 परीक्षा में भाग लेने का मुख्य उद्देश्य (Main Purpose) अपनी बेटी को प्रेरित करना और उसके लिए एक बेहतर शिक्षक बनना था। उन्होंने यह भी साझा किया कि परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्होंने अपनी बेटी के साथ मिलकर पढ़ाई की और उसे महत्वपूर्ण टिप्स (Important Tips) दिए।
पिता के रूप में प्रेरणा
विकास मंगोत्रा की इस सफलता ने साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है और किसी भी समय अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है। उनकी बेटी मीमांसा ने कहा कि उनके पिता उनके सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत (Inspiration Source) हैं और उनके मार्गदर्शन ने ही उन्हें यह सफलता दिलाई। विकास मंगोत्रा का मानना है कि शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती और यदि आपके पास दृढ़ संकल्प (Determination) हो, तो आप किसी भी समय कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
सामाजिक संदेश
NEET-UG 2024 :विकास और मीमांसा की यह कहानी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश (Important Message) है कि शिक्षा और सीखने की प्रक्रिया कभी भी रुकनी नहीं चाहिए। यह कहानी यह भी दर्शाती है कि माता-पिता का सहयोग और मार्गदर्शन बच्चों की सफलता में कितना महत्वपूर्ण (Important) होता है।