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Hindi States > मध्य प्रदेश > MP News: Konta Block के 17 स्कूल झोपड़ी या पेड़ के नीचे संचालित, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित
मध्य प्रदेश

MP News: Konta Block के 17 स्कूल झोपड़ी या पेड़ के नीचे संचालित, बच्चों की पढ़ाई प्रभावित

मनीष कुमार राणा
Last updated: July 4, 2024 4:08 am
मनीष कुमार राणा
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MP News: आज के इस आधुनिक युग में भी छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक में 17 ऐसे स्कूल हैं जो या तो झोपड़ी में संचालित हो रहे हैं या फिर पेड़ के नीचे। इस स्थिति का मुख्य कारण यह है कि यह इलाका घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। ऐसी ही एक तस्वीर भेज्जी के ओदेरपारा प्राथमिक शाला स्कूल की है,

जो पिछले एक साल से झोपड़ी में संचालित हो रहा है। इसका कारण यह है कि स्कूल भवन पिछले एक साल से निर्माणाधीन है, जिसके चलते बच्चों को झोपड़ी में पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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ओदेरपारा प्राथमिक शाला, जो भेज्जी संकुल केंद्र के अंतर्गत संचालित है, झोपड़ी में चल रही है। इस झोपड़ी की छत की हालत बहुत दयनीय है। बारिश शुरू हो चुकी है और अंधड़ भी आने की संभावना बनी रहती है, ऐसे में झोपड़ी नुमा स्कूल में बच्चों को पढ़ाई कराना किसी खतरे से कम नहीं है। सुकमा जिले के अति नक्सल प्रभावित इलाकों में आज भी स्कूल भवनों के अभाव में बच्चे झोपड़ी नुमा स्कूलों में पढ़ने के लिए मजबूर हैं।

जिला प्रशासन इन अंदरूनी इलाकों में स्कूल भवन बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन संबंधित निर्माण एजेंसी की लापरवाही की वजह से कई स्कूल आज भी भवन के अभाव के चलते झोपड़ी या निजी घरों में संचालित हो रहे हैं। स्कूल भवन का निर्माण नहीं होने से बच्चे अपना भविष्य झोपड़ी नुमा स्कूल में संवार रहे हैं।

संकुल प्रभारी दुलेश्वर सिंह कोर्राम ने बताया कि प्राथमिक शाला ओदेरपारा एक नवीन उन्नयन स्कूल है जो 3 सालों से यहां संचालित है। उन्होंने कहा कि नए स्कूल भवन का निर्माण अधीन है और वर्तमान में स्कूल का संचालन झोपड़ी में किया जा रहा है। स्कूल में एक ही शिक्षक पदस्थ हैं और 28 बच्चे अध्ययनरत हैं।

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MP News: ग्राम पंचायत भवन बनाने में कर रही है देरी

ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत के द्वारा एक साल से स्कूल भवन का निर्माण किया जा रहा है। भवन का सेलप लेवल तक कर छोड़ दिया गया है। वर्तमान में स्कूल एक कमरे की झोपड़ी में संचालित हो रहा है और गांव के सभी बच्चे इसी स्कूल में पढ़ते हैं।

ग्रामीणों ने कहा कि पंचायत सचिव और सरपंच को कई बार स्कूल भवन को बनाने के लिए कहा गया, लेकिन पंचायत सचिव ने बजट का अभाव बताकर उन्हें टाल दिया। अगर समय से स्कूल भवन बन जाता तो इस सत्र में नया स्कूल भवन बन जाता।

ग्रामीणों और बच्चों की इस समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन को तेजी से कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि बच्चों को सुरक्षित और स्थायी स्कूल भवन में पढ़ाई का मौका मिल सके। इस दिशा में प्रभावी और त्वरित कदम उठाकर बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है।

MP News: यह स्थिति दिखाती है कि शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, जिनका समाधान किया जाना अत्यंत आवश्यक है। बच्चों को एक सुरक्षित और स्थायी शैक्षिक वातावरण प्रदान करने के लिए प्रशासन और पंचायत को मिलकर काम करना होगा।

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By मनीष कुमार राणा
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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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