Bhojshala: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने धार में स्थित भोजशाला की वैज्ञानिक अध्ययन की 2,000 पेज की रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है। यह अध्ययन करीब तीन महीने तक चला, जिसमें हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने अपने-अपने दावे पेश किए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को हाईकोर्ट में निर्धारित की गई है।
भोजशाला, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है, लंबे समय से विवाद का केंद्र बना हुआ है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह स्थल राजा भोज द्वारा बनवाया गया एक मंदिर है, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह एक मस्जिद है। इस विवाद को सुलझाने के लिए एएसआई ने तीन महीने तक विस्तृत अध्ययन किया।
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Bhojshala: एएसआई की टीम ने वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करते हुए स्थल का निरीक्षण किया और वहां से 94 से ज्यादा क्षतिग्रस्त मूर्तियों को बरामद किया। इन मूर्तियों की बरामदगी ने हिंदू पक्ष के दावों को मजबूती दी है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने अपने धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए आग्रह किया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भोजशाला की संरचना और वहां मिले अवशेषों का गहन अध्ययन किया गया है। एएसआई ने स्थल के पुरातात्विक महत्व को ध्यान में रखते हुए सभी तथ्यों को समाहित किया है। इस अध्ययन में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें स्थल की संरचना, पुरानी मूर्तियों और अन्य अवशेषों का निरीक्षण शामिल है।
Bhojshala: हाईकोर्ट में 22 जुलाई को होने वाली सुनवाई के दौरान, यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। दोनों पक्षों के दावों की पुष्टि या खंडन करने में यह रिपोर्ट सहायक होगी। एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर ही हाईकोर्ट कोई निर्णय लेगा, जिससे इस विवाद का समाधान हो सके।
हिंदू पक्ष के नेताओं का कहना है कि बरामद मूर्तियां इस बात का प्रमाण हैं कि भोजशाला एक प्राचीन मंदिर था। उन्होंने इस स्थल को हिंदू धार्मिक स्थल घोषित करने की मांग की है। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह स्थल हमेशा से एक मस्जिद रहा है और उन्होंने इसे मुस्लिम धार्मिक स्थल घोषित करने की मांग की है।
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Bhojshala: एएसआई की रिपोर्ट के बाद, दोनों पक्षों में उम्मीदें बढ़ गई हैं। वे आशा कर रहे हैं कि हाईकोर्ट का निर्णय उनके पक्ष में होगा। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी है, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
Bhojshala: इस विवाद का समाधान भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक चुनौती है, क्योंकि यह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का मामला है। हाईकोर्ट के निर्णय से यह स्पष्ट होगा कि भोजशाला का वास्तविक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व क्या है। इस निर्णय के बाद ही इस स्थल के भविष्य के बारे में निर्णय लिया जा सकेगा।
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