India में बढ़ती साम्प्रदायिकता, धर्मनिरपेक्षता की पुनःस्थापना की चुनौती

India: एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता है। धर्मनिरपेक्षता का यह सिद्धांत हमारे संविधान की नींव है, लेकिन आज साम्प्रदायिकता का बढ़ता प्रभाव इस नींव को कमजोर कर रहा है।

साम्प्रदायिकता एक विचारधारा है जो समाज को धार्मिक समुदायों में विभाजित करती है। इससे लोगों में अन्य समुदायों के प्रति द्वेष और विरोध की भावना उत्पन्न होती है। यह भावना नफरत, हिंसा और अपराध के रूप में प्रकट होती है, जैसे कि मौखिक और शारीरिक हमला, चोरी, आगजनी, और महिलाओं का अपमान।

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मैंने देखा है कि लोग बिना किसी ठोस कारण के ही एक-दूसरे से नफरत करते हैं। यहाँ तक कि छोटे बच्चे भी, केवल अपने समुदाय के आधार पर, एक-दूसरे से द्वेष रखते हैं। यह स्थिति हमारे समाज के लिए अत्यंत चिंताजनक है।

साम्प्रदायिकता धर्मनिरपेक्षता के विपरीत है और हमारे संविधान की मूल भावना को क्षति पहुंचा रही है। प्रस्तावना में “धर्मनिरपेक्ष” शब्द मात्र एक शब्द नहीं, बल्कि हमारे देश के मूल सिद्धांत का प्रतीक है। भारत एक बहुसांस्कृतिक और बहुलवादी देश है, और साम्प्रदायिकता का बढ़ता प्रभाव हमारी इस विशेषता को नष्ट कर रहा है।

India : साम्प्रदायिकता से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

शिक्षा और जागरूकता: लोगों को साम्प्रदायिकता के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करना और जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। सभी स्तरों पर, विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के बीच, इस विषय पर खुली चर्चा होनी चाहिए।

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कानूनी कार्रवाई: साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले और हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार और न्यायपालिका को इस दिशा में कठोर कदम उठाने चाहिए।

राजनीतिक इच्छाशक्ति: राजनीतिक दलों और नेताओं को साम्प्रदायिकता से दूर रहकर, धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना चाहिए। राजनीतिक लाभ के लिए साम्प्रदायिकता का उपयोग किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।

सामाजिक एकता: सभी समुदायों के लोगों को एक-दूसरे के प्रति भाईचारे और सहानुभूति की भावना विकसित करनी चाहिए। समाज में एकता और सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया जाना चाहिए।

भारत की असली शक्ति उसकी विविधता में है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा देश साम्प्रदायिकता के जहर से मुक्त हो और एक सशक्त, धर्मनिरपेक्ष समाज की दिशा में आगे बढ़े। भारत के हर नागरिक को यह समझना होगा कि हमारी विविधता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है, और इसे सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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