New York Times ने गुरुवार को बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद हुई हिंदू-विरोधी हिंसा को ‘बदले के हमले’ करार दिया, जिससे व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा। New York Times के इस बयान के बाद लोगों ने सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
गुरुमूर्ति की आलोचना
स्वामीनाथन गुरुमूर्ति, जो तमिल राजनीतिक साप्ताहिक पत्रिका ‘तुगलक’ के संपादक और प्रखर हिंदूवादी आवाज के रूप में जाने जाते हैं, ने भी न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्टिंग को आड़े हाथों लिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने हिंसा की गंभीरता और उसके प्रभाव को कम करके आंका है, जिससे पीड़ितों के साथ न्याय नहीं होता। Hindu Violence पर इस प्रकार की रिपोर्टिंग ने भारतीय और हिंदू समुदाय की संवेदनाओं को आहत किया है।
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न्यूयॉर्क टाइम्स का रवैया
New York Times: गुरुमूर्ति ने कहा, “न्यूयॉर्क टाइम्स का यह रवैया न केवल पीड़ित हिंदू समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता दर्शाता है, बल्कि यह पत्रकारिता के उच्च मानकों का उल्लंघन भी है। इस तरह की हिंसा को ‘बदले की हमले’ कहकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने हिंसा की वास्तविकता को धूमिल करने का प्रयास किया है।” International Media Criticism के तहत न्यूयॉर्क टाइम्स को व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा।
रिपोर्ट का संशोधन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
विरोध और आलोचना के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में संशोधन किया और हिंसा की घटनाओं को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया। हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मीडिया के भारतीय और हिंदू समुदाय के प्रति दृष्टिकोण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। Retaliatory Attacks के संदर्भ में रिपोर्ट का संशोधन आवश्यक हो गया था।
बांग्लादेश में हिंदू-विरोधी हिंसा
बांग्लादेश में हिंदू-विरोधी हिंसा की यह घटनाएं शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद बढ़ी हैं। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायों को निशाना बनाया गया है, जिससे समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी इस हिंसा की निंदा की है और बांग्लादेश सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। Bangladesh में हिंदू समुदाय की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन गया है।
हिंदू समुदाय की अपील
New York Times: इस घटना के बाद, हिंदू समुदाय ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। New York Times की रिपोर्ट और उसके बाद किए गए संशोधन ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय मीडिया की जिम्मेदारी और निष्पक्षता पर नए सिरे से विचार किया जा रहा है।