छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के सबसे खतरनाक इलाके कोहकमेटा थाना क्षेत्र में स्थित नए स्थापित इरकभट्टी कैंप पर नक्सलियों द्वारा ताबड़तोड़ हमला किया गया। बुधवार को देसी रॉकेट लॉन्चर का उपयोग कर नक्सलियों ने कैंप पर हमला किया, जिसमें एक जवान घायल हो गया। घटना के बाद कैंप में अफरा-तफरी मच गई और एक जवान बाल-बाल बच गया।
हमले के बाद सामने आए वीडियो में देखा गया कि जवान मोर्चा संभालने के लिए दौड़ रहे हैं और एक जवान के पास बम गिरते हुए देखा जा सकता है। बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि 5 जून को लगभग 6:00 बजे अज्ञात माओवादियों ने इरकभट्टी पुलिस कैंप पर 4 बीजीएल दागे, जिनमें से 3 बीजीएल फट गए। सुरक्षा बलों द्वारा जवाबी कार्रवाई की गई जिससे माओवादी भाग गए। घटना में बीएसएफ के आरक्षक राजीव बेहरा के बाएं पैर में मामूली चोट आई है।
नारायणपुर के एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि बीएसएफ के आरक्षक राजीव बेहरा का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। उन्होंने बताया कि आंतरिक क्षेत्रों में लगातार बढ़ते विकास कार्यों से नक्सली बौखला गए हैं। कोहकामेटा से इरकभट्टी होते हुए कुतुल तक पक्की सड़क और सभी नालों पर पुल का निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है। नियद नेल्लानार योजना के तहत सभी कैंप के करीबी 5 गांवों को सरकारी योजनाओं का प्राथमिकता से लाभ मिल रहा है, जिससे नक्सली बैकफुट पर जा रहे हैं। इसी वजह से इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं।
31 मार्च को इरकभट्टी कैंप खोला गया था। नारायणपुर पुलिस और 135वीं वाहिनी द्वारा 31 मार्च 2024 को नक्सल प्रभावित माड़ क्षेत्र के ग्राम इरकभट्टी में नया कैंप स्थापित किया गया था। ग्राम इरकभट्टी, ओरछा ब्लॉक और कोहकामेटा तहसील के अंतर्गत आता है। नया कैंप स्थापित होने से क्षेत्र के ग्रामीणों में काफी उत्साह और सुरक्षा का माहौल बना हुआ है। नए कैंप की स्थापना से आसपास के क्षेत्र में सड़क, पानी, पुल-पुलिया, शिक्षा, चिकित्सा, मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी और अन्य मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हो रहा है और नक्सल उन्मूलन अभियान में तेजी आई है। इस कैंप की स्थापना में नारायणपुर डीआरजी, बस्तर फाइटर और 135वीं वाहिनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
बासिंग कैंप में भी इसी तर्ज पर हमला हुआ था। जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर बासिंग पुलिस कैंप में भी नक्सलियों द्वारा इसी प्रकार से हमला किया गया था। इसमें DRG के जवानों को टारगेट कर नक्सली रातभर कैंप में हमला करते रहे। जवानों की सूझबूझ से नक्सली हमले को विफल कर दिया गया था। इसके बाद आकाबेड़ा कैंप में भी नक्सली देसी बम से हमला कर चुके हैं। जिले में पिछले एक दशक से नक्सली देसी बम से सुरक्षा बलों पर हमला करते आ रहे हैं।
हाल के नक्सली हमलों में वृद्धि के साथ, सुरक्षा बल सतर्क हैं और क्षेत्र की सुरक्षा और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए निरंतर खतरों के बावजूद तत्पर हैं।