Desi Crypto Debate: क्या भारत Digital Rupee के लिए तैयार है?

Desi Crypto Debate: भारत में आजकल एक नया और हॉट टॉपिक चर्चा में है—Digital Rupee। जहां एक तरफ टेक-सेवी युवा इसे भविष्य की करेंसी मानकर इसकी वकालत कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे दादी-दादा जैसे बड़े बुजुर्ग इसे लेकर थोड़ा सतर्क हैं। सवाल ये उठता है कि क्या भारत वाकई Digital Rupee को अपनाने के लिए तैयार है? या फिर हम अभी भी अपनी पुरानी और भरोसेमंद नोटों वाली दुनिया में ही बने रहना चाहते हैं?

Digital Rupee: क्या है ये नया बवाल?

Digital Rupee, या कहें डिजिटल करेंसी, एक ऐसा रूप है जिसमें हमारी फिजिकल करेंसी का डिजिटल वर्जन होगा। ये कोई क्रिप्टोकरेंसी नहीं है, बल्कि हमारे भारतीय रुपया का डिजिटल रूप होगा, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किया जाएगा। इसे आप मोबाइल ऐप्स, वॉलेट्स, या बैंकिंग सिस्टम के जरिए इस्तेमाल कर सकेंगे।

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युवा टेक-सेवी क्यों हैं इसके सपोर्ट में?

आज का युवा जिस तेजी से डिजिटल टेक्नोलॉजी को अपना रहा है, उसी तरह Digital Rupee के लिए भी उनका जोश देखने लायक है। उनके लिए ये न सिर्फ आसान और तेज़ पेमेंट का जरिया है, बल्कि डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने का एक कदम भी है।

एक सर्वे के मुताबिक, भारत में 60% से ज्यादा युवाओं का मानना है कि Digital Rupee से फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन और भी आसान हो जाएंगे। इसके साथ ही, डिजिटल पेमेंट्स की तरफ बढ़ने से फिजिकल करेंसी की जरूरत कम होगी, जिससे नकली नोटों की समस्या भी काफी हद तक खत्म हो सकती है।

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बुजुर्गों की क्या है राय?

अब बात करें बुजुर्गों की, तो वो थोड़े असमंजस में हैं। उनके लिए अपने हाथ में नोट पकड़ना, उसे गिनना, और फिर पेमेंट करना एक भरोसेमंद तरीका है। उनके लिए डिजिटल करेंसी में वो “खरा सोना” वाली बात नहीं है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 50% से ज्यादा भारतीय बुजुर्ग Digital Rupee को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। उनका मानना है कि इस नए सिस्टम में फ्रॉड और हेरफेर की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। और जैसा कि हमारे बुजुर्ग कहते हैं, “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।”

क्या कहता है डेटा?

अब अगर आंकड़ों की बात करें, तो Digital Rupee का रास्ता अभी साफ नहीं है। भारत में लगभग 40 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास अभी भी इंटरनेट एक्सेस नहीं है। ऐसे में अगर Digital Rupee को पूरी तरह से लागू किया जाता है, तो इन लोगों का क्या होगा?

हालांकि, 2020 में देश में डिजिटल पेमेंट्स का वॉल्यूम 44 बिलियन तक पहुंच गया था, जो दिखाता है कि हम तेजी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन क्या ये वॉल्यूम पूरे देश की डिजिटल अवेयरनेस को दर्शाता है? शायद नहीं।

फायदे और नुकसान का तुलनात्मक विश्लेषण

Digital Rupee के फायदे और नुकसान पर चर्चा करें, तो इसके कई फायदे हैं। जैसे कि इससे पेमेंट्स और भी आसान और तेज़ हो जाएंगे, और नकली नोटों की समस्या भी कम होगी। इसके साथ ही, इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन्स भी काफी आसान हो जाएंगे।

वहीं, इसके नुकसान भी कम नहीं हैं। सबसे बड़ा सवाल सिक्योरिटी का है। डिजिटल फ्रॉड्स की संख्या पहले से ही बढ़ रही है, और Digital Rupee के आने से ये और भी बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, जिनके पास इंटरनेट नहीं है, उनके लिए ये सिस्टम थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

क्या कहती है सरकार?

भारत सरकार भी इस दिशा में काफी सक्रिय है। RBI ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें Digital Rupee के फायदों और नुकसान पर चर्चा की गई थी। सरकार का मानना है कि इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो ये भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।

Digital Rupee या पुराने नोट?

अब सवाल ये उठता है कि क्या भारत Digital Rupee को अपनाने के लिए तैयार है? जवाब आसान नहीं है। जहां एक तरफ युवा इसे भविष्य की ओर एक कदम मान रहे हैं, वहीं बुजुर्ग इसे लेकर संशय में हैं।

लेकिन जैसा कि कहते हैं, “वक्त बदलता है और हमें भी उसके साथ बदलना चाहिए।” Digital Rupee हो सकता है कि आज सभी के लिए पूरी तरह से समझ में न आए, लेकिन अगर सही तरीके से इसे लागू किया गया, तो ये भारत के फाइनेंशियल सिस्टम में एक नई क्रांति ला सकता है।

तो क्या आप तैयार हैं इस नए डिजिटल सफर के लिए? या फिर आप अपने पुराने और भरोसेमंद नोटों के साथ ही खुश हैं? जो भी हो, ये Debate अभी जारी है और आने वाले समय में इसका जवाब खुद-ब-खुद मिल जाएगा।

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