Delhi सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वह पारदर्शिता में विश्वास नहीं करती और विधानसभा सत्र बुलाने में देरी कर रही है। नियमों के अनुसार, आखिरी विधानसभा सत्र 8 अप्रैल को बुलाया गया था, और 8 अक्टूबर से पहले नया सत्र बुलाना अनिवार्य है। अगर 6 महीने के भीतर सत्र नहीं बुलाया जाता, तो विधानसभा भंग हो सकती है। इसी कारण सरकार ने मजबूरी में 2 दिन का सत्र बुलाया है, लेकिन कोई विशेष एजेंडा नहीं है।
विधानसभा सत्र की अवधि को लेकर विवाद
आरोप लगाया जा रहा है कि विधानसभा की सत्र अवधि कम से कम 10 दिन की होनी चाहिए, लेकिन सरकार ने केवल 2 दिन का सत्र बुलाया है। इस छोटे सत्र के पीछे कोई ठोस एजेंडा नहीं दिया गया है, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।
भ्रष्टाचार के सवालों से बच रही है सरकार?
विपक्ष का आरोप है कि सरकार भ्रष्टाचार से जुड़े सवालों से बचने का प्रयास कर रही है। सीएजी (CAG) की रिपोर्ट को अब तक सदन में पेश नहीं किया गया है, जिससे विपक्ष में नाराजगी है। विपक्ष का कहना है कि यह रिपोर्ट सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर सकती है, इसलिए इसे सदन में नहीं रखा गया है।
शांतिपूर्ण चर्चा की मांग
विपक्ष ने शांतिपूर्ण चर्चा की मांग की है और कहा है कि वे चाहते हैं कि सदन में सभी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हो। उनका कहना है कि सरकार को जवाबदेही से बचने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और सभी सवालों के जवाब देने चाहिए।