Rudraprayag: दिल्ली में केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर के शिलान्यास को लेकर तीर्थ पुरोहित समाज और केदारघाटी की जनता में भारी आक्रोश है। केदारनाथ से लेकर ऊखीमठ तक विरोध के स्वर उठ रहे हैं, जिसमें स्थानीय जनता और तीर्थ पुरोहितों ने मुखर विरोध जताया है। शुक्रवार से शुरू हुआ यह आंदोलन आज तीसरे दिन भी जारी है।
विरोध प्रदर्शन का विस्तार
तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय निवासियों ने ऊखीमठ में मुख्यमंत्री के शिलान्यास के फैसले के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो केदारनाथ सहित पूरी केदारघाटी में उग्र आंदोलन होगा।
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Rudraprayag: तीर्थ पुरोहितों और साधु-संतों का धरना
केदारनाथ धाम में पिछले तीन दिनों से तीर्थ पुरोहित, साधु-संत और स्थानीय निवासी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। फाटा ऊखीमठ में भी तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
चारधाम महापंचायत की प्रतिक्रिया
चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण करवाया जाना धार्मिक परंपरा और करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि केदारनाथ विधायक की हाल ही में हुई मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार से पहले ही मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली में प्रतीकात्मक मंदिर का शिलान्यास करना दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही, उत्तराखंड के पांच सैनिकों के शहीद होने के बावजूद यह कदम उठाया गया, जिससे जनता में आक्रोश और बढ़ गया है।
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Rudraprayag: विरोध के कारण और मांगें
विरोध करने वाले लोगों का मानना है कि केदारनाथ धाम से शिला ले जाकर दिल्ली में स्थापित करके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धाम की परंपरा के साथ खिलवाड़ किया है। यह कदम धार्मिक परंपराओं और स्थानीय भावनाओं के विरुद्ध माना जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि यह फैसला तुरंत वापस लिया जाए, अन्यथा वे उग्र आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।
Rudraprayag: निष्कर्ष
दिल्ली में केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर के शिलान्यास को लेकर केदारनाथ से लेकर ऊखीमठ तक विरोध की लहर चल रही है। तीर्थ पुरोहित समाज और स्थानीय जनता के आक्रोश को देखते हुए अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो केदारनाथ धाम सहित पूरी केदारघाटी में उग्र आंदोलन होने की संभावना है। प्रशासन को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा और समाधान निकालना होगा ताकि धार्मिक परंपराओं और स्थानीय भावनाओं का सम्मान हो सके।
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