New Delhi: दिल्ली शराब घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 3 जजों वाली बेंच को भेज दिया है। अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था।
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अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में ईडी की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया। अरविंद केजरीवाल की याचिका पर फैसले के वक्त उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी और ईडी के वकील एसजी तुषार मेहता अदालत में मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट ने तीन सवाल तय किए, लेकिन मामले को बड़ी बेंच के समक्ष भेज दिया।
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट का फैसला और आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अदालत ने उनके मुवक्किल को अंतरिम जमानत दी है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, मामले को तीन जजों वाली बेंच को भेजने का मतलब है कि केजरीवाल को अभी भी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा।
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New Delhi: क्या है दिल्ली शराब घोटाला मामला?
दिल्ली शराब घोटाले का मामला तब सामने आया जब दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं का खुलासा हुआ। आरोप है कि इस नीति के तहत शराब के ठेकों के आवंटन में गड़बड़ी हुई, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया और अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया।
New Delhi: क्या हैं तीन प्रमुख सवाल?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को तीन जजों की बेंच को भेजते हुए तीन प्रमुख सवाल तय किए हैं:
क्या दिल्ली आबकारी नीति में अनियमितताएं हुई हैं?
क्या इन अनियमितताओं के लिए अरविंद केजरीवाल जिम्मेदार हैं?
क्या ईडी की गिरफ्तारी और उसके बाद की कार्रवाई उचित है?
अंतरिम जमानत के बाद की प्रक्रिया
अंतरिम जमानत मिलने के बाद भी अरविंद केजरीवाल को कुछ शर्तों का पालन करना होगा। उन्हें अदालत के आदेशानुसार जांच में सहयोग करना होगा और किसी भी तरह के सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी होगी।
New Delhi: आगे की कानूनी चुनौतियां
अरविंद केजरीवाल को अभी भी अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी। तीन जजों की बेंच इस मामले की गहराई से जांच करेगी और सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अंतिम फैसला सुनाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस मामले में क्या मोड़ आता है।
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