Delhi के रोहिणी में MCD की कार्यवाही, 15 साल पुराने मंदिर को तोड़ने पर स्थानीय लोगों में आक्रोश

Delhi के रोहिणी इलाके में गुरुवार को उस समय तनाव का माहौल देखने को मिला जब रोहिणी सेक्टर 22 में एमसीडी की टीम एक सोसायटी में बने 15 साल पुराने मंदिर को तोड़ने पहुंची। एमसीडी की टीम के साथ मौके पर स्थानीय पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स की टीम भी मौजूद रही। इस कार्यवाही को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखा गया।

मंदिर तोड़ने की कार्यवाही

एमसीडी का दस्ता सुबह ही पूरे दल बल के साथ मंदिर के खिलाफ अपनी कार्यवाही करने पहुंचा। इस दौरान हिंसक घटना को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात की गई। एमसीडी की कार्यवाही के दौरान मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी भी पहुंच गए और उन्होंने इस कार्रवाई के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई।

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Delhi: स्थानीय लोगों का आक्रोश

रोहिणी सेक्टर 22 की पॉकेट 6 में बना यह मंदिर लगभग 15 साल पुराना था और स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र था। सभी त्योहारों पर लोग मंदिर में पूजा अर्चना करने आते थे और इस मंदिर से उनकी भावनाएं जुड़ी हुई थीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर को तोड़े जाने से पहले उन्हें सूचित भी नहीं किया गया था।

मंदिर की पुजारिन और स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया

मंदिर की पुजारिन रेखा ने कहा, “यह मंदिर हमारे लिए सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि हमारी आस्था का प्रतीक था। इसे बिना किसी सूचना के तोड़ देना हमारे साथ अन्याय है।”

स्थानीय निवासी सारिका ने कहा, “हमने इस मंदिर में कई सालों से पूजा की है। एमसीडी की इस कार्यवाही से हम बहुत आहत हैं।”

स्थानीय निवासी आशू ने कहा, “मंदिर को तोड़ने के बाद प्रशासन ने हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। हम इस कार्रवाई का विरोध करते हैं और न्याय की मांग करते हैं।

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Delhi: कार्यवाही का कारण

मिली जानकारी के अनुसार, यह मंदिर एक पार्क के पास गली के एक कोने में बना हुआ था और एमसीडी ने इसे अवैध निर्माण मानते हुए यह कार्यवाही की। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर उनकी आस्था का केंद्र था और इसे तोड़ने से पहले उचित सूचना दी जानी चाहिए थी।

Delhi: निष्कर्ष

एमसीडी की इस कार्यवाही ने स्थानीय लोगों में शासन और प्रशासन के प्रति भारी नाराजगी पैदा कर दी है। स्थानीय निवासियों ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और प्रशासन से इस मामले में न्याय की मांग की है।

यह घटना एक बार फिर से यह सवाल उठाती है कि प्रशासन को जनसाधारण की भावनाओं और आस्थाओं का सम्मान कैसे करना चाहिए और किसी भी कार्यवाही से पहले उचित संवाद और सूचना कैसे दी जानी चाहिए। आने वाले दिनों में इस मामले में क्या कदम उठाए जाते हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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