Ghaziabad के डासना देवी मंदिर में बुधवार को साधु-संतों का एक दल पहुंचा और मंदिर से जुड़े विवाद पर यति नरसिंहानंद को पूर्ण समर्थन देते हुए शास्त्रार्थ के माध्यम से समाधान निकालने का प्रस्ताव रखा।
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरी और दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री महामंडलेश्वर नवलकिशोर दास के नेतृत्व में पहुंचे साधु-संतों ने मंदिर प्रकरण की जानकारी ली और यति नरसिंहानंद के विचारों को समर्थन दिया।
Ghaziabad: शास्त्रार्थ से समाधान का सुझाव
श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने यति नरसिंहानंद के इस्लामिक जिहाद पर दिए गए बयानों को ध्यान में रखते हुए सुझाव दिया कि हिंदू धर्माचार्यों और मुस्लिम मौलानाओं के बीच एक शास्त्रार्थ (धार्मिक चर्चा) आयोजित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “सनातन धर्म हमेशा से शास्त्रार्थ के जरिए मतभेदों को सुलझाने में विश्वास रखता है, और इस्लाम के जिहाद की सच्चाई को समझने के लिए यह शास्त्रार्थ जरूरी है। यह चर्चा दोनों समुदायों के बीच गलतफहमियों को दूर करने में मदद करेगी।”
भीड़ उन्माद नहीं, कानून और बातचीत से हो समाधान
महामंडलेश्वर नवलकिशोर दास ने “सर तन से जुदा” जैसी धमकियों को कड़े शब्दों में अस्वीकार किया। उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान हिंसा या भीड़ के उन्माद से नहीं, बल्कि बातचीत और कानूनी प्रक्रिया से होना चाहिए। उन्होंने देश में शांति और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए सभी समुदायों से आपसी संवाद पर जोर दिया।
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हरिद्वार में संतों से मिलीं उदिता त्यागी
यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महामंत्री डॉ. उदिता त्यागी ने हरिद्वार में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरी महाराज से मुलाकात की और डासना देवी मंदिर विवाद की पूरी जानकारी साझा की। श्रीमहंत हरि गिरी महाराज ने कहा कि यति नरसिंहानंद द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गहन शोध होना चाहिए, और मंदिर में आयोजित महापंचायत द्वारा उठाई गई मांगों का वे समर्थन करते हैं।
डासना मंदिर से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए साधु-संतों द्वारा प्रस्तावित यह शास्त्रार्थ दोनों समुदायों के बीच संवाद का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिससे आपसी समझ को बढ़ावा मिल सके।