Ghaziabad News: सावन के पहले सोमवार में Dudeshwar Nath Mandir में दिखा भक्ति का सैलाब

गाजियाबाद: सावन मास सोमवार से शुरू हो गया है, और ऐतिहासिक श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में सावन के पहले सोमवार को आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा। भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने के लिए देश भर से हजारों श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। मंदिर परिसर और आसपास का क्षेत्र भगवान दूधेश्वर और हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा।

मंदिर में जलाभिषेक का सिलसिला रात 12 बजे से शुरू हुआ, लेकिन उससे पहले ही भक्तों की कतारें लग गईं। सबसे पहले श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक किया। इसके बाद मंदिर के कपाट खोल दिए गए, और मंदिर परिसर भगवान के जयकारों से गूंज उठा।

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सावन के पहले सोमवार को मंदिर में इतनी भीड़ उमड़ी कि भक्तों की कतारें फ्लाईओवर से भी आगे तक पहुंच गईं। भगवान दूधेश्वर के दर्शन और जलाभिषेक के लिए भक्तों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ा। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, पंजाब आदि राज्यों से भक्त पूजा-अर्चना के लिए आए। बड़ी संख्या में वीआईपी भी पूजा-अर्चना के लिए आए। मंदिर के अंदर की व्यवस्था पुलिस प्रशासन और बाहर की व्यवस्था मंदिर के स्वयंसेवकों ने संभाल रखी थी। महाराजश्री के मार्गदर्शन और निर्देशानुसार मंदिर के स्वयंसेवक भक्तों की सेवा कर रहे थे।

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इस अवसर पर श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि सावन के पावन महीने की शुरुआत सोमवार से हुई, जिससे सावन मास का महत्व और भी बढ़ गया है। इस माह में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि सावन में भगवान शिव और मां पार्वती धरती पर आते हैं और भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा बरसाते हैं। सावन में सोमवार व्रत का भी खास महत्व होता है। सावन सोमवार के दिन उपवास रखने और महादेव की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि बड़ी संख्या में भक्तों ने मंदिर में सोमवार को विशेष पूजा-अर्चना और रूद्राभिषेक भी किया। मंदिर श्रृंगार सेवा समिति के अध्यक्ष विजय मित्तल के नेतृत्व में भगवान का भव्य श्रृंगार किया गया और उन्हें छप्पन भोग अर्पित किए गए।

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