New Delhi: लोकसभा में आज एक असामान्य घटना घटी जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भगवान शंकर की तस्वीर लहराई। इस घटना के तुरंत बाद स्पीकर ने हस्तक्षेप किया और नियम पुस्तिका दिखाते हुए उन्हें सदन के नियमों की याद दिलाई। राहुल गांधी यह तस्वीर किसी विशेष मुद्दे पर विरोध जताने के लिए लहरा रहे थे, लेकिन इसने सदन में तीखी बहस को जन्म दिया।
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या, लेकिन इसे प्रतीकात्मक विरोध का हिस्सा माना जा रहा है। संसद में धार्मिक प्रतीकों का उपयोग कम ही देखा जाता है, और इस कारण से यह घटना और भी अधिक ध्यान आकर्षित कर रही है।
स्पीकर का हस्तक्षेप और नियम पुस्तिका दिखाना
स्पीकर ने राहुल गांधी को नियम पुस्तिका दिखाते हुए कहा कि सदन में धार्मिक प्रतीकों का उपयोग नियमों के खिलाफ है। उन्होंने राहुल गांधी को तुरंत तस्वीर हटाने का निर्देश दिया और सदन के बाकी सदस्यों से नियमों का पालन करने की अपील की। स्पीकर ने जोर देकर कहा कि संसद के नियम और मर्यादाओं का पालन करना सभी सदस्यों का कर्तव्य है और किसी भी प्रकार का उल्लंघन अस्वीकार्य है।
सदन में प्रतिक्रियाएं
इस घटना पर सदन में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के कदम का समर्थन किया, जबकि भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे अनुचित और अस्वीकार्य बताया। बीजेपी के सदस्यों ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे सदन की गरिमा का उल्लंघन करार दिया।
निष्कर्ष
New Delhi: लोकसभा में राहुल गांधी द्वारा भगवान शंकर की तस्वीर लहराने की घटना ने सदन में तीखी बहस छेड़ दी है। स्पीकर का नियम पुस्तिका दिखाना और सदस्यों को नियमों का पालन करने की अपील करना एक सही कदम था। यह घटना सभी राजनीतिक दलों के लिए एक सबक है कि संसद की गरिमा को बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है।
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