Delhi News: नरेला थाना क्षेत्र में एक हत्या के मामले में 31 साल से फरार घोषित अपराधी को आखिरकार क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। Narela crime news के अनुसार, आरोपी को 1993 में नरेला थाना क्षेत्र में हुई हत्या के मामले में अपराधी घोषित किया गया था। पुलिस टीम ने आरोपी को पकड़ने के लिए कैटरर और बिल्डर बनकर काम किया और अंततः सफलता प्राप्त की।
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इस मामले की शुरुआत 1993 में हुई थी, जब पुलिस थाना नरेला, दिल्ली में एफआईआर संख्या 255/1993, धारा 302/34 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस केस में बाबू लाल, चुन्नी लाल और प्रेम नामक व्यक्तियों ने पीड़ित शंभूदयाल पर अपनी बेटी की शादी उनके गांव भिड़ोरा, यूपी में करने के लिए दबाव डाला। जब शंभूदयाल ने ऐसा करने से मना कर दिया, तो तीनों ने 17 सितंबर 1993 को उसकी झुग्गी में जाकर धमकाया और गाली-गलौज की। अगले दिन, 18 सितंबर 1993 को शंभूदयाल का शव बरामद हुआ। इस मामले में 1994 में आरोपी मुन्नी लाल, दया राम और प्रेम नारायण को एल.डी. कोर्ट द्वारा घोषित अपराधी घोषित किया गया था।
Fugitive arrested: वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर जघन्य मामलों के वांछित/फरार आरोपियों और पैरोल जंपरों का पता लगाने के लिए एसआई रितेश कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई। एसआई रितेश कुमार ने प्रेम नारायण नामक व्यक्ति की पहचान की, जो 1994 से फरार था। उन्होंने पता लगाया कि आरोपी के भतीजे की शादी 11 जुलाई 2024 को तय की गई है और संभावना है कि आरोपी समारोह में शामिल होगा। एसआई रितेश ने खानपान टीम के सदस्य के रूप में समारोह पर नजर रखी, लेकिन आरोपी नहीं आया। हालांकि, उसकी पत्नी और बच्चे समारोह में शामिल हुए, जिससे कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिली कि आरोपी कानपुर में रह रहा है और राज मिस्त्री के रूप में काम कर रहा है।
Crime branch success: एसीपी रमेश लांबा की निगरानी में एक टीम गठित की गई और कानपुर भेजी गई। इलाके की घेराबंदी के बावजूद आरोपी का पता नहीं चल सका। एसआई रितेश कुमार ने स्थानीय बिल्डरों की मदद से राज मिस्त्रियों से संपर्क किया, लेकिन आरोपी ने अपने बेटे नितिन को भेजा। स्थानीय बिल्डर की मदद से प्रेम नारायण को बुलाया गया और टीम ने 48 घंटे तक जाल बिछाया। अंततः प्रेम नारायण को बिल्डर के दफ्तर के पास गिरफ्तार कर लिया गया।
Delhi police operation: पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि शंभूदयाल की हत्या के बाद वह अपने पिता और चाचा के साथ गांव से गायब हो गया और कानपुर चला गया। वहां उसने अपना वोटर आईडी और राशन कार्ड बदल लिया और राज मिस्त्री का काम करने लगा। गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने गांव में सभी संपर्क बंद कर दिए थे।
Delhi News: इस गिरफ्तारी ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि कानून के हाथ कितने लंबे होते हैं। प्रेम नारायण की गिरफ्तारी murder case में 31 साल बाद हुई है और यह दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस मामले ने पुलिस की सतर्कता और संकल्प को फिर से प्रदर्शित किया है।