इस्तीफा है Kejriwal का मास्टरस्ट्रोक, कैसे हर बार बीजेपी के नेहले पर देहला चल देते हैं केजरीवाल

Delhi के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फिर से इस्तीफे की घोषणा कर दी है, लेकिन यह इस्तीफा महज एक कदम नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चाल है। बीजेपी ने केजरीवाल पर दबाव बनाया था, लेकिन जेल से बाहर आते ही उन्होंने अपनी रणनीति बदलते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया है। सवाल यह है कि आखिर केजरीवाल ऐसा क्यों कर रहे हैं और इस कदम का मकसद क्या है?

केजरीवाल का पुराना पैटर्न

यह पहली बार नहीं है जब केजरीवाल ने इस्तीफे की घोषणा की है। 2014 में भी जनलोकपाल बिल गिरने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था, और अब दस साल बाद, वह फिर से इसी चाल का सहारा ले रहे हैं। लेकिन इस बार क्या उनकी योजना फिर से जनता की सहानुभूति पाने की है या बीजेपी के राजनीतिक दांव को मात देने की?

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संभावित कारण

मुख्यमंत्री की कुर्सी प्राथमिकता नहीं – केजरीवाल बार-बार यह संदेश देते रहे हैं कि उनके लिए मुख्यमंत्री पद से ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी ईमानदार छवि है।
सहानुभूति का माहौल बनाना – इस्तीफे के बाद जनता के बीच सहानुभूति जुटाना एक बड़ी रणनीति हो सकती है।
हरियाणा चुनाव की तैयारी – केजरीवाल का यह कदम हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मजबूत करने की दिशा में भी हो सकता है।

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बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने केजरीवाल पर ध्यान भटकाने और सहानुभूति कार्ड खेलने का आरोप लगाया है। उनका मानना है कि केजरीवाल इस कदम से जनता का ध्यान शराब घोटाले से हटाकर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

जेल से बाहर आकर इस्तीफा क्यों?

केजरीवाल ने जेल में रहते हुए इस्तीफा क्यों नहीं दिया? इसके पीछे भी दो प्रमुख कारण हो सकते हैं

ईमानदार छवि को रिपेयर करना – जेल से बाहर आकर इस्तीफा देने से यह संदेश जाता है कि वे डरकर नहीं, बल्कि सोच-समझकर जनता के सामने जा रहे हैं।
बीजेपी की राजनीति को मात देना – बीजेपी जो इस्तीफा मांग रही थी, उसे देकर उन्होंने उनका दांव पलट दिया है।

Delhi के अगले मुख्यमंत्री पर सस्पेंस

Kejriwal के इस्तीफे के बाद यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? केजरीवाल की संभावित पसंद आतिशी मार्लेना हो सकती हैं, लेकिन पार्टी ने इस सवाल को अभी मजाक में टाल दिया है।

अगले कुछ दिनों में हरियाणा और दिल्ली दोनों जगह चुनाव हैं, और देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल का यह इस्तीफा किस पर भारी पड़ता है—बीजेपी, कांग्रेस या खुद आम आदमी पार्टी पर?

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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