Delhi News: कोर्ट का प्रवर्तन निदेशालय पर बड़ा फैसला, निष्पक्षता का निर्देश
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने आज अरविंद केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) मनी लॉन्ड्रिंग केस में किसी शख्स की गिरफ्तारी करते वक्त उन तथ्यों और सबूतों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है जो आरोपी के पक्ष में जाते हों। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जांच अधिकारी को इस बात की इजाजत नहीं दी जा सकती कि वह सबूतों को लेकर ‘सलेक्टिव’ हो और केवल उन सामग्रियों के आधार पर फैसला ले जो आरोपी को फंसाने वाले हों।
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निष्पक्षता और तथ्यों की सच्चाई पर जोर
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अनिवार्य है कि अधिकारी उन तथ्यों पर भी गौर करें जो आरोपी के पक्ष में जाते हैं। पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तारी के अधिकार का उपयोग अधिकारी अपनी मनमर्जी से नहीं कर सकते। कोर्ट ने जांच अधिकारियों को निष्पक्षता बरतने और आरोपी के पक्ष में मौजूद तथ्यों को भी गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है।
फैसले का महत्व और संभावित प्रभाव
इस मामले में कोर्ट का यह बयान एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी का काम तथ्यों की सच्चाई को सामने लाना है, न कि केवल आरोपी को फंसाने के लिए सामग्री जुटाना। यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय के जांच के तरीके पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि आरोपी के अधिकारों का सम्मान किया जाए और निष्पक्ष जांच हो।
प्रवर्तन निदेशालय की जांच पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल उनके मामले में बल्कि अन्य मामलों में भी मिसाल कायम कर सकता है। यह निर्देश जांच की प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।