नई दिल्ली/बेंगलुरु, 17 सितंबर — Supreme Court ने कर्नाटका सरकार, उपमुख्यमंत्री D.K.Shivakumar और लोकायुक्त को एक नोटिस जारी किया है, जो कि शिवकुमार के खिलाफ अवैध संपत्ति जमा करने के आरोप से संबंधित है। यह निर्णय भाजपा विधायक बसनगौडा पाटिल यत्नल द्वारा दायर की गई याचिका के बाद आया है, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार के केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के खिलाफ शिवकुमार के मामले को वापस लेने के निर्णय को चुनौती दी है।
Supreme Court ने मामले की आगे की सुनवाई चार हफ्तों के लिए स्थगित कर दी है और प्रतिवादियों को उनके जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह घटनाक्रम उस समय आया है जब यत्नल की याचिका को 29 अगस्त को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे की महत्वता को देखते हुए मामले की सुप्रीम कोर्ट द्वारा समीक्षा की सिफारिश की थी।
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यत्नल की याचिका का तर्क है कि राज्य सरकार का CBI मामले को वापस लेने का कदम उचित नहीं है और न्यायिक समीक्षा की मांग की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट का नोटिस इस बात का संकेत है कि मामले की कानूनी वैधता की जांच की जाएगी, विशेषकर राज्य सरकार के जांच से संबंधित कार्यों पर।
इस मामले का केंद्र डीके शिवकुमार पर अवैध संपत्ति जमा करने के आरोप हैं, जो कर्नाटका सरकार के एक प्रमुख नेता हैं। यह मामला कर्नाटका की राजनीतिक स्थिति में तनाव और निगरानी को उजागर करता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस बात की पुष्टि करता है कि न्यायिक प्रणाली प्रमुख भ्रष्टाचार आरोपों को संबोधित करने और राज्य प्रशासन में जिम्मेदारी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।