टीवी धारावाहिक लेफ़्ट राइट लेफ़्ट का जिक्र होते ही दर्शकों के ज़ेहन में सबसे पहले कैडेट हूडा की छवि उभरती है। वही बिंदास और बाग़ी अंदाज़ वाले हूडा आज, उन्नीस साल बाद, वेब सीरीज़ स्पेशल ऑप्स 2 में स्पेशल एजेंट अभय के रूप में नज़र आ रहे हैं। उनके अंदाज़ और अभिनय ने एक बार फिर दर्शकों को बांध लिया है।
अभय बनने की तैयारी
इस किरदार के लिए विकास मानकतला ने न सिर्फ़ शरीर पर काम किया बल्कि मानसिक रूप से भी खुद को ढाला। उन्होंने करीब 10 किलो वज़न बढ़ाया और मार्शल आर्ट्स, कॉम्बैट, हथियारों की ट्रेनिंग और फ्लेक्सिबिलिटी पर मेहनत की। उनके अनुसार, “फिज़िकल मेहनत ज़रूरी थी, लेकिन असली जान इस किरदार को लेखन और निर्देशन ने दी।”

हूडा का असर आज भी बरक़रार
करीब दो दशक बीत जाने के बाद भी हूडा का जादू कम नहीं हुआ है। विकास बताते हैं, “आज भी लोग हूडा को याद करते हैं। जब स्पेशल ऑप्स 2 का ट्रेलर आया, तो फैन्स ने लिखा—अब कैडेट हूडा एजेंट बन गया है। ये प्यार अमूल्य है।”
सोशल मीडिया से पहले का दौर भी वे याद करते हैं—“तब सच्चा फैनडम था। खून से लिखे खत, लिपस्टिक वाले पत्र और कपड़े घर तक आते थे। उस दीवानगी की आज बराबरी नहीं।”
संघर्ष और आस्था
विकास मानकतला कई बार लंबे समय के लिए स्क्रीन से दूर रहे। इन ब्रेक्स ने उन्हें डिप्रेशन और चिंता से भी जूझने पर मजबूर किया। लेकिन उन्हें सहारा मिला उनकी आस्था से। “भोलेनाथ से जुड़ाव ने मुझे बार-बार संभाला। शिव से जुड़ना मुझे सुकून देता है।”
बिग बॉस और ग़ुस्सा
बिग बॉस में अपनी छवि को लेकर वे साफ़ कहते हैं, “शो में पूरी कहानी सामने नहीं आती। दिन भर की दस भावनाओं में से कुछ ही दिखाई जाती हैं, और ग़ुस्से को ज़्यादा जगह दी जाती है क्योंकि वही बिकता है।” उनके अनुसार, ग़ुस्सा बुरा नहीं, बल्कि उसे बदलने की कला ज़रूरी है—“ग़ुस्से को प्यार और शांति में बदलना सीखो।”

गुनजन – जीवन साथी
अपनी पत्नी गुनजन को विकास अपनी सबसे बड़ी ताक़त मानते हैं। “मुश्किल वक्त में साथ देना आसान नहीं होता, लेकिन उन्होंने हमेशा मेरा साथ निभाया। मैं बेहद भाग्यशाली हूँ।” उनकी पहली मुलाक़ात एक मीटिंग में हुई थी और फिर अचानक दिल्ली के बाज़ार में दोबारा आमना-सामना हुआ। विकास मुस्कुराते हुए कहते हैं, “गुनजन कहती हैं उस दिन ट्रैफ़िक भी धीमा पड़ गया था।”
ईमानदारी से अभिनय
विकास मानते हैं कि किरदार में सच्चाई ही सबसे बड़ी ताक़त है। “जब आप अपनी असली पहचान छोड़कर किरदार को जीते हैं, तभी वो असली लगता है। शायद यही वजह है कि हूडा से लेकर अभय तक, लोग मुझे उतना ही प्यार देते रहे हैं।”