बेतिया से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां जिले के सबसे बड़े अस्पताल, जीएमसीएच (गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। जी मीडिया के रियलिटी चेक में यह खुलासा हुआ है कि अस्पताल प्रशासन और सीनियर डॉक्टरों की लापरवाही के कारण सैकड़ों मरीज अपनी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।
एक बेड पर तीन मरीजों का इलाज
अस्पताल की बदतर स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक-एक बेड पर तीन-तीन मरीजों का इलाज चल रहा है। गंभीर मरीजों को स्ट्रेचर पर ही इलाज दिया जा रहा है क्योंकि अस्पताल के सभी बेड फुल हो चुके हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन डॉक्टर समय पर राउंड नहीं कर रहे हैं, जिससे बेड खाली नहीं हो पा रहे हैं।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें
डॉक्टरों की लापरवाही
अगर सीनियर डॉक्टर सुबह 9 बजे और 11 बजे अपने राउंड पर होते, तो कई बेड खाली हो सकते थे और बहुत से मरीज डिस्चार्ज हो गए होते। लेकिन सीनियर डॉक्टरों की गैरमौजूदगी के कारण मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है और कई मरीज अस्पताल से वापस लौटने को मजबूर हो रहे हैं।
मरीजों की दुर्दशा
जी मीडिया के रियलिटी चेक में सामने आया कि एक बेड पर दो महिला मरीज और एक बुजुर्ग का इलाज एक साथ चल रहा है। बुजुर्ग मरीज को बैठने में कठिनाई हो रही है, लेकिन बेड की कमी के कारण उन्हें उसी बेड पर इलाज कराना पड़ रहा है। दोनों महिला मरीज अस्पताल की लचर व्यवस्था से परेशान हैं।
स्ट्रेचर पर इलाज की मजबूरी
रियलिटी चेक में यह भी सामने आया कि एक गंभीर महिला मरीज का इलाज स्ट्रेचर पर ही चल रहा है। महिला जिंदगी और मौत से जूझ रही है, लेकिन अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहा है। मरीजों के परिजन अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही से बेहद परेशान हैं।
जीएमसीएच की स्थिति चिंताजनक
यह पांच सौ बेड वाला अस्पताल, जो जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है, 1350 करोड़ की लागत से बना है। लेकिन यहां मरीजों को बेड तक नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते मरीजों को अपनी जान की बाजी लगानी पड़ रही है।