PM Modi के तीसरे केंद्रीय मंत्रिमंडल में जीतन राम मांझी की एंट्री के साथ, एक नया संदेश साफ है कि भारतीय राजनीति में उम्र का महत्व कम होता जा रहा है। मांझी की उम्र 79 साल है, जो कैबिनेट में सबसे उम्रदराज मंत्री के रूप में चुने गए हैं। इससे पहले ऐसा कोई संदेश नहीं था कि 75 साल से ज्यादा उम्र वाले नेताओं का मंत्री मंडल में स्थान हो सकता है।
2014 और 2019 के कैबिनेट में भी किसी ने 75 साल से अधिक उम्र वाले नेता को मंत्री बनाने का कदम नहीं उठाया था। इसलिए, इस बार की यह एंट्री एक प्रशंसनीय बदलाव की ओर संकेत करती है। इससे नयी राजनीतिक नीतियों का संकेत मिलता है कि उम्र को लेकर अब विभागीय भेदभाव कम हो रहा है।
नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में 71 सांसदों को मंत्री पद की शपथ दिलाई, जिसमें जीतन राम मांझी भी शामिल हैं। गुजरात के हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं, जो अब कैबिनेट में विभागीय समर्थन दे सकते हैं।
मांझी की राजनीतिक इतिहास में एक बार फिर से उछाल है। उन्होंने बिहार की राजनीति में अपना नाम कमजोरी से मजबूती के रूप में दर्ज किया है, जो कि उनके इस नये मंत्री पद के साथ और भी बढ़ जाएगी।