Bihar News: जमशेदपुर से 15 किलोमीटर दूर पोटका के कुजू से माटकू तक स्वर्णरेखा परियोजना के तहत नहर बननी थी, मगर एक से दो किलोमीटर तक ही नहर बन पाई और उसका काम वर्षों से ठप पड़ा है। इस अधूरी परियोजना से जुड़े मशीनें अब जंग खा चुकी हैं। नहर का काम ठीक से शुरू भी नहीं हुआ कि नहर में दरारें पड़ने लगीं। यह परियोजना अरबों रुपयों की थी और इसे लेकर ग्रामीणों में एक समय में काफी उत्साह था। उन्हें उम्मीद थी कि नहर के बनने से उनके खेतों को समय से पानी मिलेगा और वे अच्छी खेती कर सकेंगे। लेकिन अब Incomplete Irrigation Canal का काम ठप पड़ने से ग्रामीणों में मायूसी छा गई है।
मुआवजे की समस्या
Bihar News: नहर का काम पूरा नहीं हुआ और ग्रामीणों को अब तक उनकी जमीन का मुआवजा भी नहीं मिला है। इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि उनकी जमीनें चली गईं, लेकिन नहर का काम पूरा हो जाता तो उनके खेतों को समय से पानी मिलता और वे अच्छी खेती कर पाते। काम ठप होने से उन्हें लग रहा है कि जमीन भी गई और मुआवजा भी नहीं मिला। इसके कारण ग्रामीण सरकार से Unpaid Compensation देने की गुहार लगा रहे हैं।
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ग्रामीणों की चेतावनी
Bihar News: कुजू से माटकू नहर परियोजना अधर में, ग्रामीणों को नहीं मिला मुआवजा, आंदोलन की चेतावनी ग्रामीणों का साफ कहना है कि अगर मुआवजा नहीं मिला तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। इस मामले में विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने के कई प्रयास किए गए, लेकिन सभी अधिकारी कैमरे पर बात करने से बच रहे हैं और फोन पर एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। Farmers Protest की चेतावनी से सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे शीघ्रता से इस समस्या का समाधान करें।
अधूरी परियोजना का प्रभाव
नहर का काम ठप हो जाने और मुआवजा न मिलने से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। उनका गुस्सा जायज है और राज्य सरकार को इसमें पहल करने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीणों को उनकी जमीन का मुआवजा मिल सके। Kuzhu to Matku Canal Project की अधूरी स्थिति न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बनी है बल्कि सामाजिक और मानसिक तनाव भी उत्पन्न कर रही है।
सरकार की भूमिका
राज्य सरकार को इस समस्या का जल्द समाधान निकालना होगा ताकि ग्रामीणों का भरोसा बना रहे और वे अपनी कृषि गतिविधियों को सुचारू रूप से जारी रख सकें। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि Swarnrekha Project का काम कब फिर से शुरू होगा और ग्रामीणों को उनका मुआवजा कब तक मिलेगा।
निष्कर्ष
ग्रामीणों के आक्रोश और आंदोलन की चेतावनी को ध्यान में रखते हुए, सरकार को त्वरित और निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है। यह न केवल ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएगा बल्कि सरकारी परियोजनाओं में उनके विश्वास को भी पुनर्स्थापित करेगा।