Lalu Yadav आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने हाल ही में यूपीए-1 के दौरान अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए सारण के दरियापुर में स्थित रेल व्हील प्लांट का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इस प्लांट में अब तक 2 लाख से अधिक रेल पहियों का उत्पादन हो चुका है, जो भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है। लालू यादव ने इस प्लांट की स्थापना को बिहार के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया
लालू यादव ने कहा कि 29 जुलाई 2008 को स्थापित यह प्लांट 1640 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था और इसने भारतीय रेलवे की विदेशों पर निर्भरता को कम करने में मदद की है। उन्होंने एनडीए सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके शासनकाल में बिहार को केवल घोषणाएं ही मिली हैं, जबकि यूपीए-1 ने 1 लाख 44 करोड़ रुपए की विशेष आर्थिक सहायता देकर राज्य के विकास को गति दी थी।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़े
आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति यादव ने भी लालू यादव के इस योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह प्लांट बिहार के औद्योगिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
बीजेपी ने लालू यादव के दावों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी के एमएलसी नवल किशोर यादव ने आरोप लगाया कि लालू यादव का योगदान उतना महत्वपूर्ण नहीं था जितना कि वह दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में भी रेल पहिया प्लांट का विकास हुआ है, और लालू यादव को अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ अपने घोटालों का भी जिक्र करना चाहिए
कांग्रेस के एमएलसी समीर सिंह ने यूपीए सरकार के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि रेल पहिया प्लांट की स्थापना भारतीय रेलवे के विकास में एक ऐतिहासिक कदम था। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले 10 वर्षों में बिहार को कोई बड़ा औद्योगिक प्रोजेक्ट नहीं मिला है।
बिहार के मंत्री श्रवण कुमार ने लालू यादव की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में निरंतर विकास कार्य हो रहे हैं। उन्होंने लालू यादव के बयानों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह केवल जनता का ध्यान आकर्षित करने का एक प्रयास है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि लालू यादव के बयान ने बिहार की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है, जहां एक ओर उनके समर्थक उनकी उपलब्धियों का गुणगान कर रहे हैं, वहीं विरोधी दल इसे राजनीतिक पैंतरेबाजी के रूप में देख रहे हैं।