Muzaffarpur जिले के सकरा प्रखंड में स्थित रेफरल अस्पताल की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि यहां मरीजों का इलाज जान जोखिम में डालकर किया जा रहा है। अस्पताल की बिल्डिंग इतनी जर्जर हो गई है कि किसी भी समय गिरने का खतरा बना हुआ है। जी मीडिया की रियलिटी चेक में यह पाया गया कि अस्पताल की दीवारों में दरारें आ गई हैं और छत से प्लास्टर गिर चुका है। बावजूद इसके, मरीजों को इसी खतरनाक बिल्डिंग में इलाज करना पड़ रहा है।
अस्पताल में दवाओं और डॉक्टरों की कमी
अस्पताल में इलाज के दौरान कई खामियां सामने आईं। अस्पताल में न तो पूरी दवाएं उपलब्ध हैं और न ही प्रसव के लिए महिला डॉक्टर। टेक्नीशियन की नियुक्ति न होने के कारण अल्ट्रासाउंड मशीन भी बंद पड़ी है। मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए जिला मुख्यालय के बड़े अस्पतालों में भेजा जा रहा है, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही
जी मीडिया की टीम ने जब अस्पताल के प्रबंधन से बात की, तो उन्होंने बताया कि बिल्डिंग के निर्माण के लिए कई बार पत्राचार किया गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। महिला डॉक्टर की नियुक्ति न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि महिलाओं का इलाज पुरुष डॉक्टर से ही कराया जा रहा है। दवाओं की कमी के बारे में उन्होंने बताया कि कभी-कभी स्टॉक में कमी आ जाती है, जिससे मरीजों को पूरी दवाएं नहीं मिल पातीं।
करोड़ों खर्च के बावजूद नहीं सुधरी व्यवस्था
यहां सवाल उठता है कि जिस बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, वहां इस तरह की लापरवाही क्यों हो रही है? सकरा के रेफरल अस्पताल में मरीज अपनी जान जोखिम में डालकर इलाज कराने को मजबूर हैं। बिल्डिंग निर्माण के लिए कई बार पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
निष्कर्ष: स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई
जी मीडिया की रियलिटी चेक में यह साफ हुआ कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था किस कदर खराब है। शहरी क्षेत्रों में जहां अस्पतालों की स्थिति बेहतर होती है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में न तो डॉक्टरों की सही व्यवस्था है और न ही जरूरी उपकरणों की।