नीतीश-तेजस्वी: बिहार की राजनीति में एक बार फिर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के एक साथ आने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। हाल ही में पटना में हुई दोनों नेताओं की मुलाकात ने इस चर्चा को और बल दिया है। मुलाकात को सूचना आयुक्त की नियुक्ति से जोड़ा जा रहा है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को 2024 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में देखा जा रहा है। इससे पहले भी 2022 में जातीय जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात के बाद नीतीश ने बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी से हाथ मिला लिया था।
नीतीश-तेजस्वी मुलाकात से बिहार की राजनीति में हलचल
नीतीश कुमार के पलटी मारने की अटकलों को बल इसलिए भी मिला है क्योंकि नीतीश कुमार ने पिछले 10 वर्षों में कई बार चुनावों से पहले अपना राजनीतिक रुख बदल लिया है। हाल ही में जातीय सर्वे पर हाईकोर्ट की रोक और मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
इसके अलावा, प्रशांत किशोर (पीके) का फैक्टर भी बिहार की राजनीति में बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। पीके लगातार नीतीश और तेजस्वी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे दोनों दलों को संभावित नुकसान का डर है।
जेडीयू को केंद्र सरकार में पूरी हिस्सेदारी न मिलने से भी नाराजगी है, और इस राजनीतिक असंतोष ने नीतीश कुमार के अगले कदम को लेकर अटकलों को और मजबूत किया है।