Nalanda: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय में अपने संबोधन के दौरान कहा कि “पुस्तकें भले ही जल गईं, लेकिन ज्ञान की लौ नहीं बुझी।” उन्होंने इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की पुनर्निर्माण प्रक्रिया में कई देशों की भागीदारी की सराहना की और इसे एक वैश्विक धरोहर बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय में कई देशों की विरासत छिपी हुई है। इसके पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बिहार जिस तरह से अपने गौरव को वापस लाने के लिए विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, नालंदा का यह कैंपस उसी की एक प्रेरणा है।
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उन्होंने नालंदा का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा, “नालंदा का अर्थ है वह स्थान जहां शिक्षा और ज्ञान का अद्वितीय प्रभाव होता है। यह विश्वविद्यालय सदियों से ज्ञान और शिक्षा का केंद्र रहा है और आज भी इसकी महत्ता बनी हुई है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर छात्रों और शिक्षकों को प्रेरित किया और कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “नालंदा का पुनर्निर्माण हमारे अतीत के गौरव को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह हमें हमारी सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर को संरक्षित रखने में मदद करेगा।”
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नालंदा विश्वविद्यालय की महानता और उसके वैश्विक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “यह विश्वविद्यालय सिर्फ एक शैक्षिक संस्थान नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत प्रतीक है।”
प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन ने नालंदा विश्वविद्यालय के महत्व और इसके पुनर्निर्माण के महत्व पर जोर दिया और इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया। उन्होंने इस मौके पर सभी को नालंदा की महानता को बनाए रखने और इसके विकास में सहयोग करने का आह्वान किया।