केरल के कन्नूर जिले के थालास्सेरी में जन्मे Abdul Nasar का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। उनके पिता का निधन तब हो गया था जब वह केवल 5 साल के थे। उनकी मां ने घरेलू सहायिका के रूप में काम करके परिवार का गुजारा किया। कठिनाइयों के बावजूद, नासर और उनके भाई-बहन अनाथालय में पले-बढ़े और वहीं से उन्होंने अपनी स्कूलिंग पूरी की।
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सिर्फ 10 साल की उम्र में, नासर ने परिवार की मदद के लिए साफ-सफाई का काम और होटल में काम करने जैसे छोटे-मोटे काम शुरू कर दिए। उन्होंने थालास्सेरी के सरकारी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। अपने जीवन में, नासर ने कई काम किए, जैसे कि अखबार बेचने, ट्यूशन क्लास लेने और फोन ऑपरेटर के रूप में काम करना, ताकि वह अपने परिवार की मदद कर सकें।
Abdul Nasar की आईएएस बनने की यात्रा:
अब्दुल नासर एक होनहार और मेहनती छात्र थे, लेकिन वह UPSC परीक्षा पास नहीं कर सके। हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार की परीक्षा पास की और 1994 में केरल स्वास्थ्य विभाग में सरकारी कर्मचारी के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने कड़ी मेहनत और जनता की सेवा के प्रति अपनी निष्ठा से खुद को साबित किया और धीरे-धीरे प्रमोट होते हुए 2006 में राज्य सिविल सेवा में डिप्टी कलेक्टर बन गए। 2015 में उन्हें केरल के शीर्ष डिप्टी कलेक्टर के रूप में सम्मानित किया गया, जिसके बाद 2017 में उन्हें आईएएस अधिकारी के रूप में पदोन्नति मिली।
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सभी के लिए प्रेरणा:
अब्दुल नासर की कहानी सिर्फ एक प्रेरणा नहीं, बल्कि यह प्रमाण है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। उन्होंने साबित कर दिया कि कोई भी सपना असंभव नहीं होता, और जो लोग लगातार अपने लक्ष्य की ओर काम करते हैं, वे एक दिन जरूर सफल होते हैं।
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