UPSC Success Story: जानें कैसे एक IPS अधिकारी Ajit Doval ने भारत के NSA के रूप में ख्याति पाई

Ajit Doval का नाम भारतीय सुरक्षा जगत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके जीवन की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। एक साधारण परिवार से आने वाले अजीत डोभाल ने अपने कड़े परिश्रम और अद्वितीय रणनीतिक सोच के बल पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के पद तक का सफर तय किया। उनकी यह यात्रा प्रेरणादायक है और देश के युवाओं के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करती है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। उनके पिता एक सेना अधिकारी थे, जिनसे डोभाल को देशभक्ति और अनुशासन का पाठ मिला। शुरुआती शिक्षा के बाद, डोभाल ने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया। शिक्षा के दौरान ही उन्होंने यह ठान लिया था कि उन्हें देश की सेवा करनी है।

IPS अधिकारी के रूप में करियर की शुरुआत

अजीत डोभाल ने 1968 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रवेश किया। उन्हें केरल कैडर मिला और यहां से उनके करियर की शुरुआत हुई। जल्दी ही उन्होंने अपनी काबिलियत से सभी का ध्यान आकर्षित किया। डोभाल को खुफिया एजेंसियों में काम करने का मौका मिला, जहां उन्होंने अपनी रणनीतिक सोच और तेज बुद्धि का प्रदर्शन किया। उनकी पहचान एक ऐसे अधिकारी के रूप में हुई जो सबसे कठिन परिस्थितियों में भी शांत और सटीक निर्णय लेने की क्षमता रखता है।

महत्वपूर्ण मिशन और ऑपरेशन

डोभाल के करियर का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने कई महत्वपूर्ण मिशनों में अपनी भूमिका निभाई। मिजोरम में उग्रवादी आंदोलन को नियंत्रित करने से लेकर, पंजाब में खालिस्तान आंदोलन के दौरान खुफिया जानकारी जुटाने तक, डोभाल ने हर मोर्चे पर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया।

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उनका सबसे प्रसिद्ध ऑपरेशन 1988 का ऑपरेशन ब्लू स्टार था, जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, 1999 में कंधार विमान अपहरण कांड के दौरान डोभाल ने आतंकवादियों से बातचीत करने वाली टीम का नेतृत्व किया। उनके साहस और रणनीतिक सोच ने भारत को कई बड़ी चुनौतियों से निपटने में मदद की।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में योगदान

2014 में, अजीत डोभाल को भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने देश की सुरक्षा को एक नई दिशा दी। उनके नेतृत्व में, भारत ने आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ कई सफल अभियानों को अंजाम दिया।

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उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर बालाकोट एयरस्ट्राइक, अजीत डोभाल की योजना और रणनीति ने भारत को एक सशक्त और निर्णायक राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। उन्होंने साइबर सुरक्षा और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।

Ajit Doval सिद्धांत: कूटनीति और शक्ति का संतुलन

अजीत डोभाल ने हमेशा कूटनीति और शक्ति के संतुलन पर जोर दिया है। उनके अनुसार, एक राष्ट्र को अपनी सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ वैश्विक मंच पर भी अपनी ताकत दिखानी चाहिए। उनका सिद्धांत ‘डिफेंसिव ऑफेंस’ के रूप में जाना जाता है, जिसमें देश अपनी रक्षा के साथ-साथ आवश्यक होने पर हमलावर भूमिका भी अपना सकता है।

अजीत डोभाल की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो देश की सेवा में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। उन्होंने अपने जीवन से यह सिद्ध कर दिया कि दृढ़ संकल्प और सही मार्गदर्शन से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में उनका योगदान देश की सुरक्षा और वैश्विक स्तर पर उसकी प्रतिष्ठा को बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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मैं सुमित कुमार एक पत्रकार हूं जो सभी राज्यों की स्थानीय खबरों को कवर करता हूं। मेरे द्वारा रिपोर्ट की गई खबरें समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों और घटनाओं को उजागर करती हैं, जिससे जनता को सही और सटीक जानकारी मिलती है। मुझे पत्रकारिता के माध्यम से लोगों की आवाज बनना और उनके मुद्दों को मुख्यधारा में लाना पसंद है।
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