केंद्रिय गृह मंत्री Amit Shah ने किश्तवाड़ में आयोजित एक रैली के दौरान कांग्रेस और राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए। यह रैली जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के प्रचार के अंतिम दिन आयोजित की गई थी। शाह ने अपने भाषण में दावा किया कि राहुल गांधी और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद की ओर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीतियां और उनके बयान आतंकवाद की समस्या को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो सकता है।
शाह के इस बयान ने चुनावी माहौल में गर्मी बढ़ा दी है और कांग्रेस के खिलाफ एक नई राजनीतिक बहस की शुरुआत कर दी है। भाजपा के इस आरोप से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और तीव्र हो गई है, क्योंकि कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि यह केवल भाजपा की रणनीति है ताकि चुनावी लाभ प्राप्त किया जा सके।
Amit Shah ने रैली में भाजपा की विकास योजनाओं का भी उल्लेख किया और कांग्रेस की नीतियों की आलोचना की, यह कहते हुए कि भाजपा केवल विकास और सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है। शाह के बयान ने राजनीतिक परिदृश्य को और भी संवेदनशील बना दिया है।
Amit Shah का आरोप कांग्रेस और NC आतंकवादियों को जेल से रिहा करने की तैयारी में
केंद्रिय गृह मंत्री Amit Shah ने हाल ही में जम्मू और कश्मीर में चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शाह ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी NC आतंकवाद के प्रति ‘मुलायम’ रवैया अपनाते हैं और अगर इन दलों का गठबंधन सरकार बनाता है, तो वे आतंकवादियों और पत्थरबाजों को जेल से रिहा करने की योजना बना रहे हैं।
Amit Shah के इस आरोप ने राजनीतिक माहौल में उबाल ला दिया है और यह बयान भाजपा के लिए चुनावी लाभ का एक महत्वपूर्ण साधन बन सकता है। शाह ने कांग्रेस और NC की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता सुरक्षा और विकास की बजाय आतंकवादियों के प्रति नरम रुख अपनाना है।
इस आरोप के बाद कांग्रेस और NC ने शाह के बयान को खारिज किया है और इसे केवल राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बताया है। उन्होंने कहा कि यह बयान जनता को भ्रमित करने और चुनावी लाभ उठाने के लिए दिया गया है। शाह के बयान ने जम्मू और कश्मीर की राजनीतिक स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है।
जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित: मतदान 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को
जम्मू और कश्मीर की 90-सदस्यीय विधानसभा के चुनाव, जो नवंबर-दिसंबर 2014 के बाद पहली बार हो रहे हैं, की तारीखें घोषित कर दी गई हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, मतदान 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगा। वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को की जाएगी।
2014 के चुनावों के कुछ महीनों बाद, फरवरी 2015 में, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), जो उस समय की सबसे बड़ी और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थीं, ने मिलकर सरकार का गठन किया था। हालांकि, यह असहज साझेदारी जून 2018 में समाप्त हो गई।
अब, जम्मू और कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव राजनीतिक माहौल को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। यह चुनाव स्थानीय राजनीतिक दलों और सत्ता के लिए नए समीकरणों का संकेत दे सकते हैं।