Andhra Pradesh: तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने के गंभीर आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ इस मामले में दायर पांच याचिकाओं पर विचार कर रही है। सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने प्रसाद में मिलावट के आरोपों पर अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया दी और कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
प्रथम दृष्टया नहीं मिली मिलावट की पुष्टि
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्राप्त रिपोर्टों को देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावटी सामग्री का उपयोग नहीं किया गया। जस्टिस गवई ने कहा, “रिपोर्ट के आधार पर यह प्रथम दृष्टया स्पष्ट होता है कि प्रसाद में कोई अनुचित सामग्री नहीं मिली है। हम यह उम्मीद करते हैं कि भगवान को इन चीजों से दूर रखा जाए।”
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कोर्ट की इस टिप्पणी से यह साफ संकेत मिला कि अब तक की जांच में प्रसाद में जानवरों की चर्बी या अन्य मिलावट की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, न्यायालय ने इस मामले में आगे की सुनवाई जारी रखने की बात कही है।
सीएम चंद्रबाबू नायडू पर उठे सवाल
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी.आर. गवई ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जब इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया गया था, तो जांच पूरी होने से पहले प्रेस में बयान देने की क्या आवश्यकता थी?” कोर्ट का यह सवाल इस बात की ओर इशारा करता है कि बिना ठोस परिणाम के सार्वजनिक बयान देने से माहौल में भ्रम फैल सकता है।