Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: जानें ऐसा क्या हुआ था जब Atal Bihari Vajpayee बैलगाड़ी से पहुंचे थे संसद

आज भले ही पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें और महंगाई बड़े राजनीतिक मुद्दे न बने हों, लेकिन एक समय था जब सरकार को इस पर तीव्र विरोध का सामना करना पड़ता था। ऐसा ही एक घटना इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान हुई थी, जब मध्य पूर्व के देशों ने भारत को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात कम कर दिया था, और सरकार को तेल की कीमतों में 80 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी करनी पड़ी थी। इस निर्णय ने देश में भारी विरोध उत्पन्न किया था, और जनसंघ के नेता Atal Bihari Vajpayee ने अनोखे तरीके से इसका विरोध जताते हुए बैलगाड़ी से संसद पहुंचने का फैसला किया था।

तेल संकट और विरोध की शुरुआत

साल 1973 में तेल संकट के कारण भारत समेत कई देशों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) ने तेल की सप्लाई में कटौती कर दी थी, जिससे भारत भी प्रभावित हुआ। इसके चलते इंदिरा गांधी की सरकार को तेल की कीमतों में 80 फीसदी से अधिक की वृद्धि करनी पड़ी। इस बढ़ोतरी के बाद देशभर में सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ गई, और विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया।

अनोखे तरीके से किया विरोध

तेल की बढ़ती कीमतों के विरोध में जनसंघ के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने और दो अन्य सांसदों ने बैलगाड़ी से संसद तक का सफर तय किया। उनके इस कदम का मकसद न केवल महंगाई का विरोध करना था, बल्कि इंदिरा गांधी की बग्घी यात्रा का भी विरोध करना था, जिसे प्रधानमंत्री ने पेट्रोल बचाने के संदेश के रूप में किया था।

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पहली बार सांसद बनने का किस्सा

अटल बिहारी वाजपेयी जब 1957 में पहली बार सांसद बने, तो वे चांदनी चौक में रहते थे और संसद तक पैदल ही जाया करते थे। छह महीने बाद, जब उन्हें एक साथ वेतन मिला, तब उन्होंने अपने साथी जगदीश प्रसाद माथुर से कहा कि अब वे रिक्शे से संसद चलेंगे। यह किस्सा अटलजी की सादगी और साधारण जीवनशैली का उदाहरण है।

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नवाज शरीफ को दिया था करारा जवाब

1999 में जब नवाज शरीफ भारत आने वाले थे, तब अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें साफ संदेश दिया कि पहले पाकिस्तान को कारगिल से अपनी सेना हटानी होगी, तभी बातचीत की शुरुआत हो सकेगी। यह घटना अटलजी की दृढ़ और स्पष्ट सोच का परिचायक है।

Atal Bihari Vajpayee की मासूमियत

अटल बिहारी वाजपेयी के भीतर हमेशा एक मासूम बच्चा जीवित रहा। 1993 में अपने अमेरिका दौरे के दौरान, जब उन्हें थोड़ा समय मिला, तो वे डिज्नीलैंड पहुंचे और बच्चों की तरह लाइन में लगकर टिकट खरीदा और राइड्स का आनंद लिया।

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन और उनके अनोखे किस्से आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं, और वे हमेशा एक सच्चे नेता के रूप में याद किए जाएंगे, जिन्होंने अपनी सादगी, दृढ़ता और स्पष्ट विचारधारा से लोगों के दिलों में जगह बनाई।

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विभोर अग्रवाल एक अनुभवी और समर्पित पत्रकार हैं, जो सभी प्रकार की खबरों को कवर करते हैं, चाहे वह स्थानीय हों या हाइपरलोकल। उनकी रिपोर्टिंग में सटीकता और विश्वसनीयता की झलक मिलती है। विभोर का मुख्य उद्देश्य हर महत्वपूर्ण समाचार को समझकर उसे अपने दर्शकों तक पहुँचाना है। उनकी मेहनत और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विशेष पहचान दिलाई है।
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