महाराष्ट्र के ठाणे जिले के Badlapur में एक स्कूल में दो छात्राओं के यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद, पूरे इलाके में आक्रोश का माहौल है। इस घटना से गुस्साए छात्राओं के परिजनों और अन्य स्थानीय निवासियों ने पहले स्कूल के गेट पर विरोध प्रदर्शन किया और बाद में बदलापुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर ट्रेनों की आवाजाही को रोक दिया।
स्कूल गेट पर विरोध प्रदर्शन और रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़
छात्राओं के परिजनों ने मंगलवार सुबह स्कूल के गेट को बंद कर दिया और स्कूल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका आरोप था कि स्कूल प्रबंधन ने इस गंभीर मामले में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जब स्थानीय लोग और परिजन स्कूल के गेट पर जमा हो गए, तो विरोध का स्वरूप और उग्र हो गया। इस दौरान परिजनों ने स्कूल प्रशासन से माफी मांगने और स्कूल के अंदर छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।
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हालात तब और बिगड़ गए जब सैकड़ों लोग अचानक बदलापुर रेलवे स्टेशन पहुंच गए और रेल पटरी पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ भी की और पथराव किया, जिससे तीन घंटे तक इस रूट पर लोकल ट्रेनों की आवाजाही बाधित रही।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है। वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरती सिंह के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जो इस मामले की पूरी जांच करेगी।
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ठाणे पुलिस कमिश्नर ने संबंधित थाने को निर्देश दिए हैं कि वह तुरंत एक प्रस्ताव बनाकर इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने के लिए सबमिट करें। पुलिस के अनुसार, आरोपी को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन परिजनों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे उनका आक्रोश और बढ़ गया है।
स्कूल प्रबंधन पर उठे सवाल
परिजनों का कहना है कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जा रही है। इस घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे स्थानीय लोग और अधिक आक्रोशित हो गए हैं।
इस घटना ने न केवल ठाणे जिले बल्कि पूरे राज्य में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का गुस्सा और स्कूल प्रबंधन की चुप्पी मामले को और गंभीर बना रही है। प्रशासन को जल्द से जल्द इस मामले में कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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