शिमला। हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) में फर्जी पत्रकारों और आरटीआई कार्यकर्ता का एक गैंग सक्रिय है, जो उद्योगपतियों और सरकारी अधिकारियों को अवैध वसूली के लिए निशाना बना रहा है। जब इसके मंसूबे पूरे नहीं होते तो यह गिरोह धमकी और यहां तक कि हत्या तक की बात करने से नहीं चूकता। इस गिरोह की वजह से राज्य की इस औद्योगिक नगरी के उद्मियों में भारी खौफ है।
यह गैंग उद्योगों और सरकारी अधिकारियों को ब्लैकमेल करने के लिए फर्जी खबरें तैयार करता है और उन्हें सोशल मीडिया पर इस तरह फैलाता है मानो यह बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म की असली खबरें हों। गैंग उद्योगों में कबाड़ के ठेके और अन्य सबलेट कॉन्ट्रैक्ट लेकर मोटी कमाई करता है। इस गिरोह का सरगना किशन कुमार कसाना उर्फ रिंकू है, जो खुद को एक राजनीतिक दल का पदाधिकारी बताकर उद्योगपतियों और अधिकारियों को धमकाता है। सूत्र बताते हैं कि उसके नाम पर कई अवैध धंधे भी बीबीएन इंडस्ट्रियल एरिया में चलते हैं। बद्दी थाने में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें सड़क पर जानलेवा हमला करने का भी उल्लेख है।
गैंग का पूरा नेटवर्क फर्जी पत्रकारों के जरिए चलता है, जो फर्जी चैनल और प्लेटफॉर्म बनाकर ब्लैकमेलिंग करते हैं। इनमें से एक सदस्य भोपाल के एक अखबार का स्ट्रिंग होने का दावा करता है, जबकि दूसरा सदस्य “देन या नाओ” नाम से प्लेटफॉर्म चलाता है। इस गिरोह का मकसद सिर्फ वही खबरें दिखाना है, जिससे इनके अवैध कारोबार को सहारा मिले।
गिरोह की दिल्ली तक पहुंच
इस गिरोह के हौसले कितने बुलंद हैं, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है कि इस गिरोह से जुड़े लोग फर्जी आई कार्ड बनाकर दिल्ली स्थित हिमाचल सरकार के भवनों में ठहरते हैं ताकि इनकी काली करतूतें छिपी रहें। यही नहीं, ये लोग अधिकारियों व उनके परिवारों का पीछा करवाते हैं। ये लोग अधिकारियों की हर गतिविधि का वीडियो बनाकर रिकॉर्ड रखते हैं.
गिरोह से जुड़ा तथाकथित आरटीआई एक्टिविस्ट अधिकारियों, हाईकोर्ट और सीएम कार्यालय तक को फर्जी ईमेल भेजता रहता है, ताकि अधिकारियों पर दबाव बनाया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने इस फर्जी एक्टिविस्ट की जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिसके बाद उसके गुर्गे गैंग की गतिविधियों अंजाम दे रहे हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला गंभीर है और राज्य सरकार को तुरंत कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। अदालत और पुलिस में शिकायतें पहुंच चुकी हैं और माना जा रहा है कि जल्द ही इस गैंग का पर्दाफाश होगा। अगर इस गिरोह पर जल्द नकेल नहीं कसी गई तो इससे हिमाचल प्रदेश का औद्योगिक विकास प्रभावित हो सकता है।