Online crime: बाल संरक्षण बजट में बड़ा इजाफा, साइबर अपराधों पर भी सख्त कदम उठाने की जरूरत

Online crime: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बाल संरक्षण के बजट में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि 2009-10 में जहां बाल संरक्षण के लिए 60 करोड़ रुपये का बजट आवंटित था, उसे 2024-25 में बढ़ाकर लगभग 1,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह कदम सरकार की बाल संरक्षण के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

साइबर अपराधों के शिकार हो रहे बच्चे

मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बच्चों के साइबर अपराधों, विशेषकर साइबर बुलिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नाबालिग बच्चे साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं और इन मुद्दों के समाधान के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने विकलांग बच्चों की सुरक्षा पर भी विशेष जोर दिया और कहा कि ये बच्चे सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं।

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किशोर न्याय और पॉक्सो अधिनियम को मजबूत करने पर जोर

केंद्रीय मंत्री ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार मानव तस्करी की रोकथाम के लिए भी काम कर रही है और न्यायपालिका की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

मुख्य न्यायाधीश का बयान

Online crime: कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली को दिव्यांग बच्चों की बढ़ती कमजोरियों को समझने और उन पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। उन्होंने पुनर्स्थापनात्मक न्याय दृष्टिकोण को एक समाधान के रूप में प्रस्तुत किया।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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