Haryana Elections: कांग्रेस पार्टी पिछले कुछ वर्षों से लगातार केवल तीन राज्यों में ही सत्ता में है और अब हरियाणा के चुनावों में जीत दर्ज कर इस फेर से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। 2023 में कांग्रेस ने चार राज्यों में सरकार बनाई थी, लेकिन साल के अंत तक यह संख्या घटकर फिर से तीन रह गई।
2020 से तीन राज्यों तक सीमित कांग्रेस
2020 में कांग्रेस के पास मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई। 2021 तक पार्टी के पास केवल तीन राज्य रहे। 2022 में पंजाब में कांग्रेस की सरकार हार गई, लेकिन हिमाचल में जीत हासिल कर पार्टी ने फिर तीन राज्यों में सरकार बना ली।
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2023 में कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बावजूद साल के आखिर में हुए चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया और सिर्फ तीन राज्यों—कर्नाटक, हिमाचल और तेलंगाना—में ही सत्ता रह गई।
हरियाणा चुनाव: कांग्रेस की उम्मीद
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के आगामी चुनावों में कांग्रेस को हरियाणा में जीतने की उम्मीद है। कांग्रेस हरियाणा में किसान, जवान और एंटी-इनकम्बैंसी मुद्दों पर फोकस कर रही है, जिससे उसे सत्ता में आने की उम्मीद है। पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी मैदान में प्रचार कर रहे हैं ताकि कांग्रेस को ‘तीन के फेर’ से बाहर निकाला जा सके।
कर्नाटक में सत्ता खोने का डर
हालांकि कांग्रेस को कर्नाटक में भी एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भूमि घोटाले के आरोपों में ईडी की जांच चल रही है, जिससे पार्टी की सरकार को खतरा हो सकता है।
बीजेपी का वर्चस्व
वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 13 राज्यों में अकेले सत्ता में है। इसके अलावा, बीजेपी बिहार, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में गठबंधन सरकार का हिस्सा है, जबकि कांग्रेस झारखंड और तमिलनाडु में गठबंधन सरकार का हिस्सा है।
राज्य की सत्ता कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी है?
Haryana Elections: राज्य की सत्ता कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इससे राज्यसभा में पार्टी के सांसदों की संख्या पर असर पड़ता है। राज्यसभा सांसदों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा होता है, जिससे राज्यों में सत्ता होना आवश्यक है। इसके अलावा, केंद्र सरकार को संवैधानिक बदलाव के लिए राज्यों की अनुमति की आवश्यकता होती है।
राज्यों में सत्ता होने से कांग्रेस केंद्र के संवैधानिक बदलावों पर भी प्रभाव डाल सकती है, जिससे पार्टी की राजनीतिक मजबूती बढ़ेगी।