Ghaziabad: ग्राम छपरौला, खसरा नंबर 51(ख) में भू-माफिया द्वारा न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवहेलना का मामला सामने आया है। इस विवादित जमीन पर अनिल यादव और उनके सहयोगियों द्वारा अवैध निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जबकि इस पर माननीय उच्च न्यायालय, प्रयागराज द्वारा स्थगन आदेश तथा किसी भी प्रकार के तृतीय पक्ष का हित निहित करने पर रोक लगाई गई है।
मामले की पृष्ठभूमि
पीड़ित के अनुसार, यह जमीन अनिल यादव ने उनके माता-पिता से जबरन चेकों के माध्यम से ली थी। जब चेक बाउंस हुए, तो उनके माता-पिता ने गौतमबुद्धनगर की अदालत में बैनामा रद्द करवाने का वाद दायर किया। अदालत ने अंतिम आदेश में बैनामा रद्द कर दिया। इस पर अनिल यादव ने आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की। उक्त अपील में पारित आदेश के विरुद्ध प्रार्थी के माता-पिता ने माननीय उच्च न्यायालय, प्रयागराज समक्ष अपील दायर की जिसमें पारित अंतरिम आदेश से लोअर कोर्ट की कार्यवाही स्थगित की गई और अंतरिम आदेश द्वारा जमीन पर तृतीय पक्ष के हित पर रोक लगा दी।
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अवैध गतिविधियां
पीड़ित का आरोप है कि अनिल यादव ने झूठे शपथ पत्रों के आधार पर मृतकों के विरुद्ध वाद दायर कर अवैध नामांतरण प्राप्त किया, जिसको कि प्रार्थी द्वारा तड़ उपरांत रद्द भी कर दिया गया है इसके बावजूद उस आदेश का दुरुपयोग करते हुए जमीन पर तीन अवैध बैनामे कर दिए। इन बैनामों के आधार पर अब वह अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर जमीन को खुर्द बुद्ध कर कब जाने हेतु निर्माण कार्य करवा रहे हैं।
शिकायत और प्रशासन की निष्क्रियता
पीड़ित ने आईजीआरएस, पुलिस आयुक्त गौतमबुद्धनगर और अन्य अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। न्यायालय की अवमानना को लेकर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका (CAPL-1861/2023) भी दायर की गई है।
पीड़ित की मांग
पीड़ित ने उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने, दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने और अपनी जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता से भू-माफिया के हौसले बुलंद हैं। कोर्ट के आदेशों की इस तरह की अवमानना न्यायिक प्रणाली पर सवाल खड़े करती है।