Cricket News: विराट कोहली, गौतम गंभीर को ध्यान की शक्ति से मिला आत्मविश्वास

Cricket News: विराट कोहली और गौतम गंभीर, जिनके बीच आईपीएल सीज़न के दौरान कई बार टकराव देखने को मिला था, ने हाल ही में बांग्लादेश टेस्ट से पहले एक विशेष बातचीत के दौरान अपने पुराने मनमुटाव को दूर किया। इस बातचीत में उन्होंने अपने करियर के खास पलों को साझा करते हुए बताया कि कैसे ईश्वरीय आस्था और ध्यान ने उन्हें कठिन परिस्थितियों में मानसिक शांति और आत्मविश्वास दिया।

गौतम गंभीर ने 2009 के नेपियर टेस्ट का उल्लेख किया, जहां उन्होंने लगातार ढाई दिनों तक बल्लेबाजी की थी और इस दौरान ‘हनुमान चालीसा’ सुनकर खुद को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि कैसे वह खेल के दौरान पूरी तरह से ‘जोन’ में थे और वीवीएस लक्ष्मण ने भी यह देखा कि उन्होंने घंटों तक एक शब्द भी नहीं बोला। गंभीर ने इसे एक दिव्य अनुभव बताया।

वहीं, विराट कोहली ने 2014 के ऑस्ट्रेलिया दौरे का एक किस्सा साझा किया, जहां उन्होंने ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करते हुए दबाव भरे पलों का सामना किया था। इस दौरे पर कोहली ने 692 रन बनाए थे और यह उनकी करियर की बड़ी उपलब्धियों में से एक था।

यह बातचीत दर्शाती है कि ध्यान और आस्था से खिलाड़ियों को मानसिक मजबूती मिलती है, जो उन्हें बड़ी चुनौतियों से निपटने में मदद करती है।

Cricket news: विराट कोहली की ‘ओम नमः शिवाय’ से मानसिक शांति

Cricket News: गंभीर ने इस बातचीत के दौरान खुलासा किया कि 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान, विराट कोहली ने ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप किया था, जिससे उन्हें मानसिक शांति मिली। इस दौरे पर कोहली ने 692 रन बनाए थे, जिसमें चार शतक शामिल थे। यह सीरीज़ एमएस धोनी के टेस्ट करियर का अंत और विराट कोहली के टेस्ट करियर का बड़ा मोड़ था। इस दौरान कोहली ने अपनी मानसिक मजबूती का प्रदर्शन करते हुए अविश्वसनीय पारी खेली थी।

गौतम गंभीर का ‘हनुमान चालीसा’ के प्रति विश्वास

गंभीर ने भी 2009 के नेपियर टेस्ट का एक यादगार किस्सा साझा किया, जहां उन्होंने 436 गेंदों पर 137 रन बनाए थे और न्यूजीलैंड को जीत से रोक दिया था। गंभीर ने बताया, “उस समय, मैंने लगातार ढाई दिनों तक ‘हनुमान चालीसा’ सुनी थी। मुझे लगता है कि यह अनुभव दिव्य था, और केवल उसी स्थिति में रहकर इसे समझा जा सकता है।”

गंभीर ने यह भी बताया कि उस समय के साथी वीवीएस लक्ष्मण ने उन्हें याद दिलाया कि पहले सत्र के दौरान उन्होंने दो घंटे तक एक भी शब्द नहीं बोला था। गंभीर ने अपनी मानसिक स्थिति को ‘जोन’ में रहने का नाम दिया, जो उनके लिए अद्वितीय और प्रभावशाली था।

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