Military School और Sainik School में क्या है अंतर, जानिए दोनों के बीच प्रमुख भिन्नताएँ

नई दिल्ली: भारतीय Sainik School और Military School दोनों ही रक्षा कर्मियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित किए गए हैं, लेकिन इन दोनों स्कूलों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं।

Sainik School

सैनिक स्कूल भारत में रक्षा मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों के अधीन काम करते हैं। इन स्कूलों में प्रवेश कक्षा 6 और कक्षा 9 में एक प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है। प्रत्येक सैनिक स्कूल में सेवा कर्मियों के बच्चों, राज्य के निवासियों, अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के छात्रों के लिए आरक्षित कोटा होता है। इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए भी आरक्षित सीटें होती हैं।

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Military School

मिलिट्री स्कूल, जिन्हें वर्तमान में राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के नाम से जाना जाता है, का नाम समय-समय पर बदला गया है। इन्हें 1952 में किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था, जिसे 1966 में मिलिट्री स्कूल और फिर 2007 में राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल का नाम दिया गया। वर्तमान में ये स्कूल राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के नाम से जाने जाते हैं। यहां कक्षा 6, 9, और 11 में दाखिले होते हैं। कक्षा 6 और 9 में प्रवेश के लिए एक सामान्य प्रवेश परीक्षा होती है, जबकि कक्षा 11 में दाखिला 10वीं कक्षा के परिणामों के आधार पर होता है। भारत में पांच राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल हैं, जो शिमला, अजमेर, धोलपुर, बैंगलोर, और बेलगाम में स्थित हैं।

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दाखिले और फीस संरचना में अंतर

मिलिट्री स्कूलों की स्थापना का प्राथमिक उद्देश्य रक्षा कर्मियों के बच्चों को गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना था। हालांकि, समय के साथ, इन स्कूलों में नागरिकों के बच्चों को भी दाखिला दिया जाने लगा। इन स्कूलों की फीस संरचना कैटेगरी के आधार पर भिन्न होती है। उदाहरण के लिए, OR (अन्य रैंक), नेवी, और वायुसेना (IAF) के कर्मियों और पूर्व सैनिकों के लिए वार्षिक फीस ₹12,000 है। JCOs (जूनियर कमीशन अधिकारियों), नेवी, IAF कर्मियों और पूर्व सैनिकों के लिए फीस ₹18,000 है। तीनों सेवाओं और पूर्व सैनिकों के लिए फीस ₹25,000 है, जबकि नागरिकों से ₹51,000 वार्षिक फीस ली जाती है। SC/ST छात्रों को फीस में 75% छूट मिलती है।

सैनिक स्कूलों में, जो भारत में 33 हैं, प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला होता है। इनकी फीस में वार्षिक फीस, हॉस्टल फीस, डाइट फीस, और अन्य शुल्क शामिल होते हैं, जो कुल मिलाकर ₹80,000 से अधिक होते हैं। फीस में कैटेगरी और विशेष नियमों के आधार पर छूट उपलब्ध होती है।

सैनिक स्कूल और मिलिट्री स्कूल दोनों ही रक्षा कर्मियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित हैं, लेकिन उनके प्रशासनिक ढांचे, प्रवेश प्रक्रियाओं, और फीस संरचना में महत्वपूर्ण अंतर हैं। इन भिन्नताओं को समझना माता-पिता और छात्रों को उनकी शैक्षिक पसंदों के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकता है।

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विभोर अग्रवाल एक अनुभवी और समर्पित पत्रकार हैं, जो सभी प्रकार की खबरों को कवर करते हैं, चाहे वह स्थानीय हों या हाइपरलोकल। उनकी रिपोर्टिंग में सटीकता और विश्वसनीयता की झलक मिलती है। विभोर का मुख्य उद्देश्य हर महत्वपूर्ण समाचार को समझकर उसे अपने दर्शकों तक पहुँचाना है। उनकी मेहनत और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विशेष पहचान दिलाई है।
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